कसौली के जंगलों में फिर फेंकी दवाइयोंं की खेप

By: Feb 1st, 2018 12:20 am

धर्मपुर (सोलन)— जिला सोलन की पर्यटन नगरी कसौली के लोघ गांव के समीप बुधवार सुबह भारी तादाद में तीसरी बार हरियाणा के करनाल में बनी दवाइयों की खेप मिली है, जिसके बाद से स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ हैं कि आखिर यह एक्सपायरी डेट की दवाइयां ऐसे जंगलों मे क्यों फेंकी जा रही हैं और जंगलों में दवाइयां फेंकने का क्या मकसद हो सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि कौन बार-बार भारी तादाद में दवाइयां कसौली के जंगलों में फेंक रहा है, इसकी जानकारी प्रदूषण विभाग व स्वास्थ्य विभाग को अभी तक हासिल नहीं हो पाई है और प्रदूषण विभाग व स्वास्थ्य विभाग के लिए बार-बार नई किस्म की दवाइयां मिलना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। जानकारी के अनुसार बुधवार को जिन चार दवाइयों की खेप जगंल से मिली,  इनमें से क्लीन एंड फेयर , यह दवा नैचुरल ब्ल्ड प्योरिफाइयर के लिए है।  (बैच नंबर सीएनएफ-003) यह दवा अगस्त 2014 में एक्सपायर हो चुकी है। वहीं, दूसरी सिरप का नाम बाइनैक्सोटोन है (बैच नंबर बीएक्सटी-002) यह दवा अक्तूबर 2016 में एक्सपायर हो चुकी है, तीसरी दवा का नाम बिन ओसडी सिरप है इसका बैच नंबर बीएनसी-004 है ,यह दवा दिसंबर 2017 में एक्सपायर हो चुकी है।  साथ ही चौथी दवा का नाम कैलिरैक्स सीरप है, इसका बैच नंबर सीएएल-007 है और यह   फरवरी 2018 में एक्सपायर होनी है। ये सभी दवा आयुर्वेदिक मेडिसन है। इन सभी दवा की बोतल पर हरियाणा के करनाल में एचएसआईआईडीसी के सेक्टर-3 में 148 नंबर का पता लिखा गया है। सूत्रों से पता चला है कि इनका स्टोर बद्दी में भी हो सकता हैं। जिस स्थान पर ये दवाइयां फेंकी गई थी, उस जगह लोगों द्वारा पहले भी कई बार गिरी हुई दवाइयां देखी गई थीं, जिसके बाद लोगों  ने स्थानीय ग्राम सभा को भी अवगत करवाया था।  मंगलवार तक प्रदूषण विभाग द्वारा  दवाइयों की खेप उठवा दी गई थी, परंतु बुधवार सुबह फिर से दवाइयों की शीशियां देखने को मिली है। लोगों द्वारा बुधवार को फेंकी गई दवाइयों की मात्रा पहले से भी काफी अधिक है और जो दवाइयां अब गिरी हुई पाई गई है वह पहले मिली दवाइयों से अलग किस्म की है ंऔर उनमें से एक सिरप की एक्सपायरी डेट फरवरी 2018 है। हैरानी इस बात की है कि लोघ गांव में जो दवाइयां फेंकी हुई पाई गई हैं ,वे भी जीएमपी सर्टिफाइड कंपनी का मार्का और यह हरियाणा के करनाल में बनी है। आखिर कंपनी इसे डिस्पोज करने के पैसे बचाने के चक्कर में दवाइयां गांव में बार-बार गिरा कर लोगों को क्यों परेशान कर रही है या दवाइयां गिरने का मसला कुछ और है इस बात का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है।


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