कालेज टीचर के लिए पीएचडी जरूरी

By: Feb 21st, 2018 12:16 am

यूजीसी ने शिक्षक भर्ती के लिए तय किए नए नियम, 11 जुलाई 2009 से पहले के पीएचडी धारकों को नेट से राहत

शिमला— कालेजों और विश्वविद्यालय में होनी वाली नई शिक्षक नियुक्तियों के लिए तय किए गए नए रेगुलेशन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से नेट, सेट के साथ पीएचडी की डिग्री अनिवार्य कर दी है।  वहीं, नए नियमों में भी नेट, सेट से छूट का नियम आयोग ने अभी भी जारी रखा है। आयोग की ओर से  कालेजों और विश्वविद्यालय में शिक्षक और अन्य अकादमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए रेगुलेशन -2018 तैयार किया गया है। इसमें यूजीसी ने जो नियम तय किए हैं, उनमें 11 जुलाई, 2009 तक पीएचडी डिग्री कर चुके अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्ति को लेकर नेट- सेट से छूट देने को शामिल किया है। यह छूट आयोग की ओर से पहले से तय नियुक्ति के नियमों में भी शामिल थी। अब आयोग ने इसे नए रेगुलेशन में भी शामिल किया गया। इसके लिए छूट का कुछ दायरा भी यूजीसी ने तय किया था जिसे अब रेगुलेशन-2018 में शामिल कर आयोग ने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है।  इसमें छात्रों की पीएचडी रेगुलर मोड में होनी चाहिए, थीसिस का मूल्यांकन दो बाहरी परीक्षकों से होना चाहिए, छात्र का ओपन पीएचडी वाइवा होने के साथ ही दो रिसर्च पेपर प्रकाशित होने चाहिएं, जिसमें से एक रेफर्ड जर्नल में छपा हो। साथ ही छात्र द्वारा दो पेपर पे्रजेंटेशन होने चाहिएं। जिन छात्रों के ये पांच बिंदु पूरे हैं और उन्हें रजिस्ट्रार या डीन एकेडमिक्स ने सत्यापित किया है, वे सभी छात्र नेट-सेट की अनिवार्यता में छूट के पात्र होंगे। यूजीसी की ओर से नए नियमों के लिए तय किए गए ड्राफ्ट में आवेदकों को नेट-सेट से छूट के मानक तय होेने से छात्रों को राहत मिलेगी। देश भर के शिक्षण संस्थानों में छूट के लिए एक समान नियम लागू होंगे। अभी तक विश्वविद्यालयों में इसको लेकर असमंजस की स्थिति थी। हर यूनिवर्सिटी इन छात्रों के लिए नेट-सेट से छूट को जरूरी पांच बिंदुओं को अलग ढंग से लागू कर रही थी। अब ये सभी बिंदु नियुक्ति प्रक्रिया के लिए अनिवार्य रेगुलेशन-2018 में शामिल कर लिए गए हैं, जिसे देश भर में सभी विश्वविद्यालय स्वीकार करेंगे।

बिना पीएचडी प्रोमोशन भी नहीं

यूजीसी ने ड्राफ्ट रेगुलेशन में बिना पीएचडी प्रोमोशन पर भी रोक लगा दी है। यानी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जहां नेट-सेट अनिवार्य योग्यता रहेगी, वहीं प्रोमोशन के लिए पीएचडी जरूरी है। जिन छात्रों के पास रेगुलेशन-2009 एवं संशोधित-2016 के नियमों से पीएचडी है, वे नेट के दायरे से बाहर रहेंगे। सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान नियम बनाए गए हैं।


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