गेयटी में चवन्नी और शटराला की धूम

शिमला — शिमला में शीतकालीन अवकाश के समय में बच्चों के लिए अभिनय की बारिकियां सिखाने वाली संस्था समन्वय ने गेयटी में बालकलाकारों की प्रतिभा को मंच देने के लिए नाटक का मंचन किया। इस आयोजन के दौरान 20 दिवसीय अभिनय शिविर में बच्चों ने जो भी सीखा उसकी झलक गेयटी के मंच पर बच्चों ने प्रस्तुत की। बालमन की सुक्ष्म अनुभूतियों व संवेदनाओं को स्पर्श करती मृदुला श्रीवास्तव की कहानी चवन्नी का मंचन बालकलाकारों  ने मंच पर प्रस्तुत की । नाटक में बच्चों ने  बाल-मजदूरी जैसी भयंकर सामाजिक बुराई पर चोट की । शिविर में भाग लेने वाले बच्चों में विभूति, हरलीन खुशवंत, आदित्य, अदिति, श्रेया, उपांशु, सारांश, नविका, सारा,अवनि,दिव्यांश, भानू, अर्ष, अर्पित, यशिका, रक्षित, धीरज, सान्वी, आन्या, सना, शिवांश नितिका अर्शिता और विभूति मंचन इस नाटक का गेयटी में किया। कहानी चवन्नी मृदुला श्रीवास्तव की है जिसका नाटय रूपांतर भूपेद्र शर्मा ने किया और इसका निर्देशन धीरेद्र सिंह रावत ने किया है । चवन्नी कहानी में लाला रामखिलावन के ढाबे में काम करने वाले गुंगे बाल-मजदूर चवन्नी के ईर्द- गिर्द घुमती है । दिनभर काम करने के बावजुद वो लाला की डांट फटकार के साथ-साथ पीटने को भी मजबूर है । इस सब के बावजुद वो अपनी बाल कल्पनाओं में स्वर्गीय मां-बाप को व स्कूल जाने से लेकर अन्य बच्चों की तरह एक सकून भरी जिंदगी की कल्पना करता है । इस बीच उसे जितने भी लोग मिलते हैं वो  उसे अपने साथ ले जाने के लिये फुसलाते हैं, प्रलोभन देते हैं । बाल तस्करी के माफिया तंत्र का खुलासा होता है जिसकी गिरफत में फंस कर चवन्नी की किडनी तक निकाल ली जाती है । अपनी किडनी चोरी हो जाने के बाद चवन्नी को एहसास होता है कि लाला रामखिलावन की मारपीट गाली-गलौज कंही अच्छी है। वो बाहर की क्रुर दुनिया से दूर लाला के ढाबे मैं नौकरी को सहजता से स्वीकार कर लेता है, क्योंकि वो वहां सुरक्षित है। इस कहानी को बच्चों ने इतना बखुबी मंच पर दिखाया की सभी दर्शकों ने बाल कलाकारों की प्रतिभा को  सराहा।