जीएसटी से 20 हजार करोड़ का घाटा

राजस्व बढ़ाने के लक्ष्य से चूकी सरकार, 2018-19 में 3 से 5 फीसदी रहने का अनुमान

नई दिल्ली— वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में वित्तीय घाटे के 3.5 प्रतिशत पर पहुंचने का बचाव करते हुए कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने के कारण 11 महीने के राजस्व में 12 महीने का व्यय करने से यह स्थिति बनी है। श्री जेटली ने वर्ष 2018-19 का आम बजट संसद में पेश किए जाने के बाद कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के 3.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, क्योंकि जीएसटी लागू किए जाने के कारण 12 महीने के बदले मात्र 11 महीने का राजस्व ही प्राप्त हो सका है। उन्होंने कहा कि जीएसटी की वजह से अप्रत्यक्ष कर संग्रह में करीब 20 हजार करोड़ का राजस्व कम प्राप्त हुआ है, लेकिन विनिवेश से लक्ष्य से अधिक राशि मिलने और अन्य राजस्व प्राप्तियों में बढ़ोतरी से राजकोषीय घाटा को कम करने में मदद मिली है। आर्थिक मामलों के सचिव एससी  गर्ग ने कहा कि मूडीज ने पिछले सप्ताह ही अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया था। इसलिए, राजकोषीय घाटा बढ़ने से देश की साख पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 तक इसे कम कर तीन प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है तथा धीरे-धीरे यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। अगले वित्त वर्ष में यह 3.2 प्रतिशत और इसके बाद के वित्त वर्ष में इसके 3.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने वेतनभोगियों को कोई बड़ी राहत नहीं देने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मोदी सरकार पहले वर्ष से ही वेतनभोगियों को कुछ न कुछ राहत देती रही है। पहले वर्ष में इस सरकार ने आयकर में छूट की सीमा को दो लाख से बढ़ाकर अढ़ाई लाख रुपए की गई थी। इसके बाद के बजट में सरकार ने एक लाख रुपए के निवेश पर छूट को बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दिया था।