टाइफाइड के फैक्ट को पहचानती प्रीति

By: Feb 25th, 2018 12:15 am

प्रीति पठानिया

हिमाचल की बेटियों ने यह साबित कर दिया है कि शिखर पर पहुंचने के लिए उन्हें कोई शार्टकट नहीं चाहिए। वे कड़ी मेहनत व लगन के साथ ही मुकाम पर पहुंचना चाहती हैं। ऐसा ही कुछ हट कर करने की सोच रखने वाली प्रीति पठानिया ने टाइफाइड के मरीजों को महंगे वीडॉल टेस्ट से निजात दिलाने का डिवाइस खोज निकाली है। फतेहपुर (कांगड़ा) की बडियाली  पंचायत सुनहारा की निवासी प्रीति पठानिया ने निकाल लिया है। करीब अढ़ाई वर्ष की लंबी रिसर्च के बाद  प्रीति ने प्रदेश व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। प्रीति शुरू  से ही कुछ अलग करने की सोचती थी और उसने अपना सपना सच कर दिखाया। प्रीति ने एक ऐसी बायोमेडिकल डिवाइस की खोज की है, जो कि टाइफाइड के बैक्टीरिया सालमोनेला टाइफी की भी पहचान तुरंत कर लेगी। इस टेस्ट के लिए मरीजों का 35 से 40 रुपए खर्चा आएगा, जबकि इस डिवाइस की रिपोर्ट भी 95 फीसदी सही होगी। अभी तक पूरे देश में टाइफाइड की जांच के लिए मरीजों का वीडॉल व टाइफैक्स टेस्ट ही होता है, जिसके लिए करीब 200 से 350 रुपए तक खर्चा आता है और इस टेस्ट की विश्वसनीयता भी 35 से 40 फीसदी तक ही रहती है। मोबाइल के आकार की इस डिवाइस को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसकी कीमत करीब दस हजार रुपए होगी। 16 अक्तूबर, 1989 को जन्मी प्रीति की पहली से पांचवीं तक की पढ़ाई इंदिरा मेमोरियल पब्लिक स्कूल इंदौरा में की है जबकि जमा दो की शिक्षा सीनियर सेकेंडरी स्कूल फतेहपुर से। बीएससी प्रीति ने जंदनोली और एमएससी जालंधर से, इंस्टीच्यूट ऑफ  माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी की रिसर्च स्कॉलर प्रीति ने पीएचडी चंडीगढ़ में की है। प्रीति के  पिता शक्ति पठानिया हिमाचल पुलिस से एसएचओ के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि माता किरण वाला गृहिणी हैं। पांच फरवरी को प्रीति का विवाह जवाली निवासी कैप्टन देवेंद्र राणा के साथ हुआ है।

खून चैक कर रीडर बताएगा बैक्टीरिया है या नहीं

डिवाइस से रिपोर्ट के लिए मरीज को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। महज आठ से 10 मिनट में यह डिवाइस रिपोर्ट देगी। इसमें सेंसर व नैनो तकनीक का प्रयोग किया गया है। आप्टिकल सेंसर युक्त यह उपकरण महज आठ से दस मिनट में रिपोर्ट बता देते हैं।  टाइफाइड की जांच के लिए डिवाइस में मरीज का खून डालना होगा। डिवाइस में मौजूद रीडर पुष्टि करेगा कि खून में बैक्टीरिया है या नहीं। निश्चय ही हिमाचल की इस होनहार वैज्ञानिक की यह तकनीक देश के लिए काफी लाभकारी साबित होगी।

पीजीआई चंडीगढ़ में परीक्षण

डिवाइस का पीजीआई चंडीगढ़ के मरीजों पर परीक्षण किया जा चुका है। करीब 34 मरीजों पर परीक्षण के बाद इस डिवाइस की रिपोर्ट 95 फीसदी सही रही है।

-सुरेंद्र मिन्हास, फतेहपुर

मुलाकात / जनहित के कार्यों से मिलता है सुकून…

टाइफाइड टेस्ट तक आपके अनुसंधान की कहानी?

तीन साल के बाद की कड़ी मेहनत के बाद की सफलता।

कब सोचा कि विज्ञानी बनना है?

दस जमा दो के बाद से।

टाइफाइड डिवाइस के सृजक बनने के बाद का एहसास ?

मन को मिला सुकून जनहित में किए कार्य को लेकर।

कोई ऐसा अवसर जिसने प्रीति का नजरिया बदल दिया और लक्ष्य निर्धारित होता गया?

दस जमा दो परीक्षा के बाद जब पी एमटी के लिए आवेदन किया। हिमाचल में पीएमटी घोटाला सामने आया, तब नजरिया बदला  तब लक्ष्य निर्धारित हुआ। साथ में दस जमा दो में फिजिक्स के प्रवक्ता रविंद्र राणा ब बायो के प्रवक्ता मदन लाल के मार्गदर्शन के कारण लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिली।

लैब में विज्ञान को क्या चाहिए?

मन को स्थिर रखने वाला वातावरण।

क्या आप मंसूबों को शक्ल दे पाईं या इस खोज के बाद भविष्य का लक्ष्य बड़ा हो गया है?

इस खोज में सफलता मिलने  के उपरांत आगे भी जनहित के लिए नई- नई खोज करने की मंशा पैदा होती गई।

जिस रास्ते और मेहनत के बल पर टाइफाइड का टेस्ट आपने गरीब के लायक बना दिया, उससे आगे आपके लिए चुनौतियां क्या हैं?

चुनौतियां तो जिंदगी में कभी खत्म नहीं होतीं,आगे इससे भी ज्यादा प्रयास करते हुए जनहित के लिए कार्य करने की मंशा है।

कोई एक प्राथमिकता जिसने आपको फतेहपुर के बंद झरोखे खोलने में मदद की और शिक्षा की ऊंची कक्षा में पहुंच गई?

निष्पक्ष भाव से की मेहनत के कारण शिक्षा की ऊंची क्लास तक पहुंच पाई हूं

हिमाचली शिक्षा में कहां सुधार की गुंजाइश देखती हैं और ऐसे कौन से विषय हैं जो स्कूल-कालेजों के पाठयक्रमों में शामिल होने चाहिए?

हिमाचली शिक्षा में संसाधनों के सुधार की आवश्यकता है, वहीं आज के समय अनुसार जरूरतों व बदलाव अनुसारही शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल होनी चाहिए।

हिमाचली बेटियों को टिप्स देने हों, तो क्या कहेंगी?

बस इतना कि सफलता उन लोगों को ही मिलती है जिनको अपने ऊपर और उस मालिक के ऊपर विश्वास होता है।

आपके लिए संघर्ष और सुकून के बीच समाधान क्या है?

दृढ़ इच्छा, लगन व मेहनत।

जीवन में कौन सी हस्तियां सदा प्रेरित करती हैं और ऐसा कौन सा मुकाम है जिसे हासिल करना है?

जीवन में वे हस्तियां, जिन्होंने अपना सब कुछ देश सेवा व समाज सेवा को समर्पित कर दिया प्रेरित करती हैं। जैसे पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App