तेंदुओं की पहली पसंद बने रिहायशी इलाके
वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ देहरादून की रिसर्च में खुलासा, शिकार और व्यवहार भी बदला
बिलासपुर— प्रदेश में पाए जाने वाले तेंदुए के शिकार और व्यवहार में काफी बदलाव आ गया है, जिससे भविष्य में लोगों के लिए यह खतरा साबित हो सकता है। तेंदुए अब जंगलों में कम और रिहायशी इलाकों की तरफ ज्यादा रुख करना पसंद करते हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ देहरादून के वैज्ञानिकों द्वारा हिमाचल में किए गए लैपर्ड रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। वैज्ञानिक बतातें हैं कि पहले हिमाचल में तेंदुए जंगलों में पाए जाते थे, परंतु 2017-18 के सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि अब वे रिहायशी स्थानों में ज्यादा पाए जा रहे हैं। इसी के साथ तेंदुओं के व्यवहार और शिकार में काफी बदलाव आ गया है, जिसमें तेंदुआें को अब जंगलों में खाने के लिए कम साम्रगी भी मुख्य कारण हो सकता है। क्योंकि जंगलों में लगातार बढ़ रहे शिकार के चलते अब कई जंगली जानवर या तो मर रहे हैं और बाकी के बचे जानवर रिहायशी मकानों की तरफ दौड़ रहे हैं। अनुमान लगाया जाए तो हिमाचल प्रदेश में पिछले दो साल से ज्यादा इस वर्ष तेदुए के शिकार से हुई लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, जिसमें ज्यादातर तेंदुए घर और गांव में जाकर लोगों के शिकार करने में उतर गए हैं। बता दें कि वाल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ देहरादून भारत का एक ऐसा नंबर वन इंस्टीच्यूट में शुमार हो गया है, जहां पर भारतीय वैज्ञानिकों से ज्यादा विदेशी विज्ञानिक रिसर्च करते हैं। वैज्ञानिक बतातें हैं कि हिमाचल प्रदेश भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर तेंदुओं की संख्यां में हर साल कमी दर्ज की जा रही है और सबसे ज्यादा आबादी कम होने का कारण तेंदुओं का रिहायशी मकानों की तरफ आना है। गौर हो कि सिंतबर 2017 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ देहरादून की टीम ने बिलासपुर जिला का दौरा किया था। जिसमें उन्होंने यहां पर तेंदुए, नील गाय, जंगली सूअर और अन्य जंगली जानवरों की पूरी एक्टिविटी पर रिसर्च किया, जिसमें उनको सबसे ज्यादा बदलाव तेंदुए में पाया गया।
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