दोनों कांग्रेसी धड़ों ने दिल्ली में डाला डेरा

पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बाद सुक्खू भी पहुंचे, राहुल गांधी से मुलाकात का इरादा

शिमला— आपसी लड़ाई में कांग्रेस के दोनों गुटों ने सत्ता तक गवां दी, मगर अभी तक इनकी लड़ाई खत्म होने में नहीं आ रही है। ताजा मामला वीरभद्र समर्थकों को पार्टी से बाहर करने का है, जिस पर ये गुट मुखर हो गया है। इनकी लड़ाई फिर से दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है, जहां दिल्ली में वीरभद्र सिंह ने अपने समर्थकों के साथ डेरा डाला हुआ है, वहीं अब कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू भी दिल्ली पहुंच गए हैं। दोनों नेताओं का इरादा है कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करें और उनके सामने पूरा मामला लाएं। वीरभद्र सिंह अब अपने समर्थकों को पार्टी से बाहर करने के मामले में नाराज हैं, जिसके चलते उनका सुक्खू के साथ मनमुटाव भी बढ़ गया है। यहां तक कि वह हमीरपुर जाकर बोल चुके हैं कि सुक्खू की चलती तो वह उन्हें भी पार्टी से बाहर कर देते। साथ ही लोकसभा चुनाव में सुक्खू के नेतृत्व को लेकर भी उन्होंने बयान दिया था। इस पर सुखविंदर सुक्खू ने भी तलख तेवर दिखाए और यहां तक कह दिया कि वीरभद्र सिंह सत्ता में रहते हुए कभी भी पार्टी की सरकार को रिपीट नहीं कर पाए। इस मामले को लेकर दोनों तरफ तलवारें तन चुकी हैं और मामला अब दिल्ली दरबार तक पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं ने वहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की है और उनका इरादा राहुल गांधी से मिलने का है। अभी राहुल गांधी से मिलने का कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है, लेकिन जिस तरह से दोनों नेता वहां डट गए हैं, उससे साफ है कि वह राहुल गांधी से मुलाकात कर किसी न किसी नतीजे पर पहुंचेंगे। वीरभद्र सिंह चाहते हैं कि सुक्खू को कुर्सी से हटाया जाए। उनका तर्क है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांगे्रस को यह कदम उठाना चाहिए, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश का संचार होगा। वैसे बता दें कि कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव भी तय हैं, परंतु उससे पहले खुद राहुल गांधी ने ही सुक्खू को कुर्सी पर बने रहने के लिए कहा है। आलाकमान ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे, जिसके बाद फिलहाल सुक्खू जमे हुए हैं।

कौन, किस पर पड़ेगा भारी

अब दोनों तरफ से लोकसभा चुनाव को लेकर तर्क और वितर्क दिए जाएंगे, जिसके बाद कांग्रेस का कौन सा धड़ा किस पर भारी पड़ेगा, यह जल्दी साफ हो जाएगा। फिलहाल दोनों नेता दिल्ली में एक-दूसरे की खिलाफत पर उतारू हैं। बताया जाता है कि वीरभद्र सिंह के साथ उनके कुछ समर्थक भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं।