निजी स्कूलों में शिक्षा लेंगे जरूरतमंद बच्चे

By: Feb 24th, 2018 12:50 am

बिलासपुर – हिमाचल प्रदेश में गरीब एवं कमजोर वर्ग के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। अगले शैक्षणिक सत्र 2018-19 से राज्य में यह व्यवस्था प्रभावी ढंग से लागू की जा रही है। इस बाबत सभी जिलों के उपनिदेशकों को आदेश जारी हो गए हैं। सरकार ने निजी स्कूलों में पढ़ाई के लिए 25 फीसदी कोटा तय किया है, जिसके तहत निजी स्कूलों को अपने यहां पहली और छठी कक्षा में बच्चों को एडमिशन देना अनिवार्य किया गया है। इसका सारा खर्चा राज्य सरकार उठाएगी। खास बात यह है कि एडमिशन के वक्त निजी स्कूलों को गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने बाबत पूरा ब्यौरा प्रोस्पेक्ट्स, साइन बोर्ड या फिर अन्य व्यवस्था के जरिए विज्ञापित करना होगा। इसके लिए जिलों में ब्लॉक बार निजी स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठकों का दौर शुरू हो गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग बिलासपुर के डिप्टी डायरेक्टर देवेंद्रपाल ने बताया कि हाल ही में शिमला में आयोजित डिप्टी डायरेक्टर और प्रारंभिक शिक्षा खंड अधिकारियों की बैठक में निदेशक की ओर से इस बाबत विस्तृत जानकारी दी गई है और इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि नए शैक्षणिक सत्र से प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में गरीब व कमजोर (बीपीएल, आईआरडीपी, एससीएसटी व ओबीसी) वर्गों के बच्चों को एडमिशन देना अनिवार्य किया गया है। फिलहाल यह एडमिशन पहली कक्षा और छठी कक्षा में दी जाएगी, जबकि बाद में इस व्यवस्था को पहली से लेकर आठवीं तक प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र में पहली और छठी कक्षा में 25 फीसदी बच्चों को एडमिशन देनी होगी। ऐसे बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। इस पर संबंधित जिलों के उपनिदेशक और प्रारंभिक शिक्षा खंड अधिकारी अपना पूरा चैक रखेंगे। इसका फायदा यह रहेगा कि एक तो निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगेगी, वहीं इन स्कूलों में अब शिक्षा विभाग की डायरेक्ट इन्वॉल्वमेंट रहेगी। डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार बिलासपुर जिला में ब्लॉक बार निजी स्कूलों के प्रबंधकों के साथ बैठकों का दौर चल रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के निजी स्कूलों में ज्यादातर मध्यम व उच्च वर्गों के बच्चे ही अध्ययनरत हैं। जबकि गरीब व कमजोर वर्गों के कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं या फिर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन ऐसे बच्चे भी मध्यम व उच्च वर्ग के बच्चों की तर्ज पर निजी स्कूलों में पढ़ाई कर सकेंगे। निजी स्कूलों की वर्दी के साथ टाई बेल्ट डालकर पढ़ पाएंगे, जिसके लिए राज्य सरकार अगले शैक्षणिक सत्र से पूरे प्रदेश भर में इस व्यवस्था को लागू करने जा रही है। इसके लिए सभी जिलों को आदेश जारी करने के बाद आगामी प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई है। सरकार की मंशा है कि गरीब व कमजोर वर्गों के बच्चे भी उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चों की तरह पढ़ाई कर सकें।

नियम नहीं माने तो होगी कार्रवाई

प्रारंभिक शिक्षा विभाग बिलासपुर के डिप्टी डायरेक्टर देवेंद्रपाल ने बताया कि बिलासपुर जिला में उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक को मिलाकर कुल 126 निजी स्कूल कार्यरत हैं। यदि निजी स्कूल सरकारी आदेशों को अमलीजामा पहनाने से आनाकानी करते हैं या फिर व्यवस्था में खामियां पाई जाती हैं, तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। यहां तक कि नियमों की अवहेलना करने वाले निजी स्कूलों की मान्यता तक रद्द भी की जा सकती है।


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