प्रदेश में लगने लगे अघोषित पावर कट

स्थानीय स्तर पर फाल्ट बताकर पल्ला झाड़ रहा बिजली बोर्ड, विद्युत उत्पादन में कमी

शिमला – प्रदेश की नदियों में पानी की कमी से यहां बिजली परियोजनाओं की टरबाइनें घूम नहीं पा रही हैं। इसका सीधा असर यहां के लोगों पर पड़ रहा है। हालांकि बिजली बोर्ड किसी भी तरह से बिजली के कट नहीं लगाने का दावा कर रहा है, परंतु फिर भी लोगों को अघोषित बिजली कट सहन करने पड़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार बिजली की कटौती के लिए स्थानीय स्तर पर फाल्ट की बात कर बोर्ड अपना पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि उसके पास जरूरत पूरी करने के लिए बिजली नहीं है। इस कारण लोगों को कई-कई घंटे तक बिजली का कट सहना पड़ रहा है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अमूमन ऐसा हो रहा है, जहां पर बिजली की आंख मिचौनी लोगों को सहनी पड़ रही है। यहां बार-बार बिजली जाती है और बताया यह जाता है कि फॉल्ट है, परंतु बोर्ड के पास बिजली की कमी है। बिजली बोर्ड का अपना उत्पादन इस समय केवल 19 लाख यूनिट रह गया है, जबकि प्रदेश को जरूरत 275 लाख यूनिट बिजली की है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए हरियाणा और दिल्ली की तीन एजेंसियों से बिजली ली जा रही है, वहीं सेंट्रल सेक्टर का शेयर भी बोर्ड को मिल रहा है, परंतु यह पर्याप्त नहीं है। इससे भी यहां की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। यदि मौसम का मिजाज ऐसा ही रहता है तो इस दफा लोगों को गर्मियों में यहां न केवल पानी की दिक्कत हो जाएगी, बल्कि बिजली परियोजनाओं की टरबाइनें भी उतना उत्पादन नहीं कर पाएंगी, जितनी यहां पर जरूरत रहती है। इस पर बोर्ड को अपने पड़ोसी राज्यों को भी बिजली वापस करनी है, जिसमें उसे परेशानी पेश आ सकती है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बिजली का संकट और गहराएगा, क्योंकि उतनी मात्रा में बारिश या बर्फबारी की आस नहीं है।

अखरने लगी बोर्ड की व्यवस्था

कांगड़ा, हमीरपुर, चंबा, ऊना, बिलासपुर, सोलन व मंडी जिलों में बिजली के बार-बार अघोषित कट लगने से लोग परेशान हैं। कारोबारियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बिजली बोर्ड मौजूदा व्यवस्था से ही काम चला रहा है, लेकिन यह व्यवस्था अब अखरने लगी है।