फसलों को बंदरों से बचाएंगे अमरीकी शोधकर्ता

ऊना पहुंची तीन सदस्यीय टीम, अगले चार महीने तक जिला के गांवों में जाकर होगी स्टडी

ऊना—प्रदेश में उत्पाती बंदरों से फसलों को होने वाला नुकसान कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय रिसर्च टीम ऊना पहुंच गई है। ऊना में बंदरों द्वारा किए जा रहे अधिकतर नुकसान को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग ने टीम को प्रयोग करने के लिए ऊना बुलाया है। जिला में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह रिसर्च शुरू की गई है। अमरीकी रिसर्चर की टीम में शामिल डा. पौला, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस बंगलोर की प्रो. सिंधू राधाकृष्णन व बिहार के पीएचडी स्टूडेंट सौरभ ऊना पहुंचे हैं। टीम ने आते ही कुटलैहड़ के मोमन्यार व बौल पंचायतों का दौरा किया है। इस दौरान बंदरों से फल व फसलों को होेने वाले नुकसान को लेकर रिसर्च करनी शुरू कर दी है। अब अन्य पंचायतों में भी टीम यह शोध करेगी कि बंदर किन-किन फसलों को उजाड़ते हैं। रिसर्च टीम चार महीनों तक फील्ड में शोध करेगी और बंदरों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए पंचायत स्तर पर स्टडी करेगी। अगर यह नुस्खा ऊना में कामयाब हुआ तो इसे प्रदेश में भी लागू किया जा सकेगा। जिला ऊना में वर्षों से ही बंदर फल-फसलों को नष्ट करते रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि आबादियों में आकर भी कई लोगों को घायल कर चुके हैं। प्रदेश में बेशक कई स्थानों पर बंदरों की संख्या कम करने के लिए इनकी नसबंदी की है, वहीं विभिन्न क्षेत्रों में बंदर नसबंदी केंद्र भी खुले हैं। बाबजूद इसके बंदरों का उत्पात जारी है। इस गंभीर समस्या का मामला विधानसभा में भी कई बार गूंज चुका है, वहीं लोकसभा में भी बंदरों व जंगली जानवरों की समस्या को उठाया जा चुका है।

साउथ अफ्रीका में रिसर्च कामयाब

रिसर्चर की अंतरराष्ट्रीय टीम इससे पहले साउथ अफ्रीका में बंदरों द्वारा फल-फसलों को होने वाले नुकसान को लेकर रिसर्च कर चुकी है, जो कि सफल हुई है। अब ऊना में इस प्रयोग का पायलट आधार पर शुरू किया गया है।