फिर खुल गई घाटे के निगमों-बोर्डों की फाइल

By: Feb 3rd, 2018 12:45 am

शिमला— पूर्व सरकारों की तर्ज पर जयराम ठाकुर सरकार ने भी घाटे के निगमों व बोर्डों की फाइल को री-ओपन कर दिया है।  सूत्रों के अनुसार वित्त महकमे ने इस सिलसिले में पुरानी अध्ययन रिपोर्ट को खंगालना शुरू कर दिया है। वित्त विभाग से इनकी स्थिति के बारे में पूछा गया है, जिसने आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं। जल्द ही इस मामले को लेकर आला अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी, जिसके बाद मामला कैबिनेट में जाएगा। पुख्ता सूत्रों के अनुसार वर्तमान सरकार चाहती है कि निगमों व बोर्डों को घाटे से उभारा जाएगा, जिसके लिए पहले उनके घाटे के कारणों का जाना जाएगा। इनका समायोजन एक बड़ा हल है, लेकिन पूर्व की दो सरकारें इस दिशा में काम कर चुकी हैं, परंतु नतीजा नहीं निकल पाया। बताया जाता है कि वित्त महकमे को पुरानी प्रक्रिया को सामने लाने के लिए कहा गया है। इससे पूर्व की सरकारों में वित्त विभाग ने इसमें क्या जानकारियां जुटाई थीं और क्या सुझाव दिए गए गए थे, इनका अवलोकन करने के बाद नए सिरे से सरकार घाटे के निगमों व बोर्डों के संबंध में फैसला ले सकती है। बताया जाता है कि इस सिलसिले में वित्त विभाग के अधिकारियों ने पुरानी फाइलें टटोलनी शुरू कर दी हैं, वहीं विभिन्न निगमों व बोर्डों से उनकी वित्तीय स्थिति को लेकर जानकारी मांग ली है। क्योंकि वित्त वर्ष अंतिम पड़ाव पर है, लिहाजा इस समय उनकी वास्तविक स्थिति का आंकलन हो सकेगा। प्रदेश सरकार के दो दर्जन से अधिक निगम व बोर्ड हैं और लगभग सभी घाटे में चल रहे हैं। इनको अपने कर्मचारियों का वेतन निकालना भी मुश्किल है, जिस पर कर्मचारियों को पेंशन आदि का लाभ तो ये दे ही नहीं सकते। कई जगहों पर तो कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहा है। पूर्व सरकार ने भी घाटे के निगम व बोर्डों को समायोजन की दृष्टि से एक टास्क फोर्स का गठन किया था, लेकिन इस टास्क फोर्स की रिपोर्ट ही नहीं आ सकी। हालांकि इसने कुछ सुझाव जरूरी सामने रखे थे। वित्त विभाग को इस टास्क फोर्स द्वारा की गई कार्रवाई से अवगत कराने के लिए कहा गया है। जल्दी ही पूरा ब्यौरा सरकार को भेजा जाएगा और आला अधिकारियों की बैठक अगले वित्त वर्ष के बजट से पहले  बुलाई जाएगी। माना जा रहा है कि बजट में इनके संबंध में सरकार कोई घोषणा कर सकती है।

इनका हो चुका है विलय

कई निगम व बोर्ड एक जैसा काम कर रहे हैं, जिनका समायोजन कर उनको और काम दिया जा सकता है। पूर्व में नाहन फाउंड्री का विलय एसआईडीसी में किया जा चुका है। इसी तरह सामान्य उद्योग निगम भी है, जिसका भी काम दूसरे निगमों से मेल खाता है। एसआईडीसी में एक अन्य निगम एक्सपोर्ट कारपोरेशन का विलय भी हो चुका है।


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