बरसे मेघ…तर हुए खेत

पतलीकूहल —पिछले तीन महीनों से भी अधिक समय से कुल्लू घाटी का बागबान सूखे खेत व बागानों को लेकर  परेशान बैठा था। शनिवार को मौसम में आए बदलाव से उनकी उदासी फुर्र हो गई। अंबर से जिस तरह से निचले क्षेत्रों में बारिश व चोटियों पर हिमपात हुआ है, उससे लोगों की वर्षा व बर्फबारी की आस पूरी हुई है। पिछले कुछ दिनों में बागबानों द्वारा सेब के पौधों में डाली गई रासायनिक व जैविक खाद के बाद वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण वे चिंतित थे, मगर शनिवार का दिन मेघों को लेकर आया और पूरे क्षेत्र को तर कर गया। मौसम के इस मिजाज से लोगों में आगामी फसल को लेकर उसके होने की उम्मीद जग गई है। लोगों का कहना है कि यदि और कुछ दिन मौसम खुश्क रहता तो खेतों में बोई फसल और  सेब की फसल पर संकट के बादल उमड़ते नजर आ रहे थे। लोगों का कहना है कि जब तक पहाड़ों पर बर्फ नहीं पड़ेगी तब तक चिंता का माहौल बना रहेगा। देश में जिस तरह से जलवायु परिवर्तन का सिलसिला आगे बढ़ रहा है, उससे यहां की मुख्य नकदी फसल सेब को लेकर बागबानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।  बागबानों लोकराज, करतार, खेखराम व अमर चंद ने बताया कि शनिवार का दिन कुल्लू घाटी के किसानों व बागबानों के लिए अच्छा रहा है, जिससे वर्षा की झड़ी से खेत व बागान तर हुए हैं। क्षेत्र में नमी का संचार होने से बागबान अब खादों के डालने का कार्य कर सकते हैं। हालांकि अधिकतर लोगों ने जनवरी में अपने बागानों में खाद डालने का कार्य आरंभ कर दिया था मगर वर्षा के न होने से बागानों में दी गई खाद नमी न होने के कारण जज्ब नहीं पाई थी। क्षेत्र का बागबान अपने-अपने आराध्य देवी-देवताओं के दर  जाकर वर्षा व बर्फबारी के लिए गुहार लगाए हुए हैं।