‘मकथाणी री आल’ बनी डंपिंग साइट

 करसोग — करसोग उपमंडल के पांगणा गांव में अगर कहीं गंदगी का बोलबाला है तो वह है पांगणा को दो भागों में बांटने वाली खड्ड पर बने पुल के नीचे की ‘मकथाणी री आल’। इस जल कुंड में जून 2009 में भारी प्रदूषण के कारण ही हजारों मछलियां मर गई थीं। तत्कालीन उपमंडलाधिकारी करसोग जेसी पटियाल ने स्वयं पांगणा पहुंच कर इस पूरे प्रकरण की जांच के निर्देश दिए। वही, पांगणा की प्रधान शांता शर्मा ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। वर्तमान में फिर से पुरानी घटना को दोहराते हुए ‘‘मकथाणी री आल’’ में बेशुमार कूड़ा-कचरा आंखें बंद कर के डाला जा रहा है। प्राकृतिक पानी खड्ड को डंपिंग यार्ड बना कर रख दिया गया है। वर्ष 2009 में ग्राम पंचायत पांगणा की प्रधान शांता शर्मा के नेतृत्त्व में समाज सेवी डाक्टर जगदीश शर्मा, कमल देव सोनी, महिला मंडल पांगणा की प्रधान रमा सोनी, मेहर चंद ठाकुर, धर्मेंद्र शर्मा, विजय, कामेश्वर शर्मा, पदमानंद, मुकेश गुप्ता, तेजराम गौतम, भूपेंद्र शर्मा(छोटू), रमेश शर्मा, कैलाश चंद महाजन, तेजराम गौतम, विजय बहादुर, अध्यापक राजकुमार, गोविंद, धर्मपाल गुप्ता, भूपेंद्र शर्मा पींका, देवेंद्र कुमार, नरेंद्र शर्मा सहित अनेक व्यापारियों व समाज सेवियों ने इस जल कुंड में मरी मछलियों को बदबूदार जल कुंड से निकालने तथा प्रदूषित जल को साफ करने का साहसिक निर्णय लेकर लगभग डेढ़ सौ फुट घेरे व 15 से 20 फुट गहरी इस आल (जलकुंड) के दूषित पानी को बाहर निकाल कर इसे प्रदूषण मुक्त करने के ऐसे काम को अंजाम दिया था जो कि बिलकुल आसान नहीं था। जहरीले पानी से क्विंटल के हिसाब से मरी मछलियों को हाथों से निकालकर गहरे गड्ढों में दफना कर जीव दया को समर्पित एक अनूठी मिसाल पेश की थी। इस घटना के लगभग नौ वर्षों के बाद आज फिर यह जल कुंड गंदगी का शिकार हो गया है। जल तथा जल कुंड व इसके चारों ओर फिर कचरे के ढ़ेर लग गए हैं। परिणाम स्वरूप खड्ड में कूड़ा-कचरा फैंकने से मछलियों का जीवन फिर से खतरे में पड़ गया है और प्रदूषण के कारण जल जीवों की हो रही क्षति की किसी को चिंता नहीं है। प्रदूषण के कारण एक बार फिर से मछलियों पर मौत का खतरा मंडराने लगा है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग ने हालांकि पुल पर इस जल कुंड को कूड़े-कचरे से मुक्त करने और मछलियां न मारने का सूचना पट्ट भी लगा रखा है तथा अवहेलना करने वाले पर कानूनी कार्रवाई करने की बात भी इस बोर्ड पर अंकित कर रखी है, लेकिन कूड़ा-कचरा फैंकने वालों को रोकने की कोई जहमत नहीं उठाता। हालात यह हैं कि कूड़े-कचरे के ये ढे़र सिंचाई और जन स्वास्थ्य विभाग को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इसके लिए आईपीएच प्रशासन भी उतना ही दोषी है जितना कि चोरी-छिपे कूड़ा-कचरा फैंकने वाले। समाज सेवी डाक्टर जगदीश शर्मा, व्यापार मंडल पांगणा के प्रधान सुिमत गुप्ता, सचिव नीतिश गुप्ता, पुनीत गुप्ता, गौरव, कैलाश महाजन , टिक्कम, इंद्रराज शर्मा, धर्मप्रकाश शर्मा, पतंजलि स्वाभिमान ट्रस्ट के मंडी जिला प्रभारी जितेंद्र महाजन व तहसील करसोग के प्रभारी चेतन शर्मा, महिला मंडल, युवक मंडल के सदस्यों सहित अनेक लोगों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि नदी जल प्रदूषण से मुक्ति के लिए कारगर कदम उठाए जाएं।