मौसम का खुश्क मिजाज, बागबान परेशान

पतलीकूहल— फरवरी महीने का एक सप्ताह भी बीत गया मगर मौसम का मिजाज नहीं बदला। पिछले तकरीबन तीन महीनों से जिस तरह से मौसम ने रुख अख्तियार किया हुआ है उससे यहां की मुख्य नकदी फसल सेब के उत्पादन को लेकर बागबान चिंता में हैं। क्योंकि इस वर्ष दिसंबर व जनवरी के महीनों में बागानों में बर्फबारी न होने से सेब की बढि़या फसल के वांछित चिंलिंग आवर्ज पूरे नहीं हुए हैं। यहां तक की मौसम का गर्म मिजाज पलम की शूटस में सिल्वर टिप लाने में सक्षम हो गया है। जिसके लिए बागबान प्लम की फ्लावरिंग के जल्दी होने की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। पिछले चार पांच दिनों से कुल्लू घाटी में दिन के समय बादल तो मंडरा रहे हैं लेकिन मौसम का मिजाज वर्षा नहीं कर रहा है।  पहाड़ों पर हल्का हिमपात मगर निचले क्षेत्र वर्षा की एक बूंद को तरस रहे हैं।  घाटी के ऊंचे पहाड़ों से उतरती सफेद चादर हर किसी के दिलों की धड़कन तेज हो रही है। फरवरी महीने का पहला सप्ताह भी बीत गया मगर बर्फबारी व वर्षा से महरूम खेत व बागान खुश्की के कारण सूख रहें हैं। क्योंकि घाटी में जिस तरह से दिन में गर्मी का माहौल व्याप्त है उससे किसानों व बागबानों को फसलों की चिंता होने लगी है। लोगों का क हना है कि जब दिसंबर व जनवरी महीने में ग्लेशियर रिचार्ज नहीं हुए तो फरवरी महीने में क्या उम्मीद की जा सकती है। नदियों से उन क्षेत्रों को बहाव जल परियोजना से जोड़ा जाता है जहां पर पानी ले जाना संभव हो। मगर ऊंचाई वाले क्षेत्र जहां पर न तो बर्फ पड़ रही और न ही वर्षा हो रही है ऐेसे क्षेत्रों सूखे की मार से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। घाटी में जिस तरह से मौसम का मिजाज परिवर्तन शील है उससे वैज्ञानिकों की चिंता भी मौसम के मिजाज को लेकर बढ़ गई हैं। जनवरी के महीने में पड़ने वाली कड़क ठंड का मिजाज जहां शुष्क बना हुआ है, वहीं पर दिन में सूर्य की तेज तपिश से क्षेत्र की नमी गायब हो रही है, जिससे खेतों व बागबानों की नमी नदारद हो गई है। घाटी में हर रोज आकाश में बादल मंडराते है, लेकिन वर्षा के लिए तरसती प्यासी जमीन बागबानों व किसानों की चिंता बढ़ा रहा है।