मुलाकात
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती…
अपने अनूठे अभियान में आपने आपराधिक हाथों से एक जीवन बचाया है? कैसा महसूस करती हैं।
एक बेटी अब इस संसार में आ सकेगी। इससे बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं। एक जीवन बचाकर खुद पर गर्व हो रहा है।
पूरे अभियान में आपके कंधे पर विभागीय जिम्मेदारी, साहस और कर्मठता के अलावा गोपनीयता थी। कैसे निभाया, कितनी कठिन थी यह परीक्षा?
पुलिस में ऐसे टास्क मिलना मतलब आप पर उच्चाधिकारियों को भरोसा है। यह आपरेशन गोपनीय तरीके से चला। मन में बस यही था कि यह मिशन कामयाब हो। कामयाबी हासिल करने में सौ फीसदी भागीदारी निभाई। इसके बाद कामयाबी मिली।
इस पूरे मामले में आपकी प्रेरणा, सिद्धांत और रणनीति किस तरह एक-दूसरे के पूरक बने?
बचपन से ही देखती आई हूं कि समाज में लड़का व लड़की में भेद समझा जाता है। स्वयं एक लड़की हूं इसलिए इस वर्ग के लिए कुछ कर गुजरने की लालसा रहती थी। जब मौका मिला तो खुद को साबित कर पाईं। इसके लिए विशेष रणनीति बनाई गई थी। पूरे मामले में मेरी प्रेरणा डीएसपी रेणू शर्मा रहीं हैं।
सफलता से आपकी पहचान में तो इजाफा हुआ। उसे देखते हुए आप किस तरह की जिम्मेदारी ओढ़ना चाहेंगी?
पुलिस में हरेक जिम्मेदारी अहम होती है। कोई भी मामला हो, छोटे से लेकर बड़े स्तर का। जनता की सेवक हूं, सेवक बनकर ही काम करूंगी।
पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है? और वर्दी की कसम किस तरह सफल हो सकती है?
पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्राइम को जड़ से समाप्त करना है। कई बार राजनीतिक दबाव भी बन जाता है। ऐसे में काम की निष्पक्षता, निष्ठा पर सवाल उठना शुरू हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी का ईमानदारी से निर्वहन करना व दबाव मुक्त रहकर स्थिति को संभालना चुनौती बन जाता है। पुलिस की वर्दी की कसम सरकार, पुलिस व लोगों के सहयोग से ही सफल हो सकती है। क्राइम करने वाले से ज्यादा क्राइम सहने वाला ज्यादा दोषी होता है।
पुलिस में आने की वजह और इस दायित्व में खुद को कितना सफल मानती हैं?
बचपन से ही सुनती आई हूं कि दहेज के लिए लड़की को प्रताडि़त किया जाता है। कई बार संसार में पहुंचने से पहले की कोख में बच्ची की हत्या कर दी जाती है। इस क्राइम को जड़ से समाप्त करने की मन में ठानी है। यही वजह है कि पुलिस में भर्ती हुईं। अपने पहले ही केस में एक बच्ची को बचाने में कामयाब हुई हूं।
अमूमन औरतों के सामने ड्यूटी चार्ट नरम किया जाता है, क्या आप सहमत हैं?
मानती हूं कि कई बार महिलाओं के सामने ड्यूटी चार्ट नरम किया जाता है। क्योंकि शारीरिक प्रक्रिया की तुलना में महिलाओं को पुरूषों से ज्यादा परेशनियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि मानसिक रूप से महिलाएं पुरुषों से कहीं अधिक स्ट्रांग हैं।
हिमाचल की बेटियों को अब तक मिले आकाश से संतुष्ट हैं या अभी समाज के आईने छोटे हैं?
हिमाचल की बेटियां आकाश छू रही हैं। सेना, खेल व पढ़ाई में अपनी काबिलीयत दिखाकर लड़कियां साबित कर चुकी हैं कि वे किसी भी फील्ड में लड़कों से कम नहीं हैं।
ऐसी कौन सी यातनाएं आज भी औरतों को मिलती हैं, जिससे पूजा का मन दहल जाता है?
अकसर सुनती आई हूं कि दहेज को लेकर कई बार महिला आत्मदाह तक कर लेती हैं। आज भी जब ऐसा सुनने को मिलता है तो रूह कांप उठती है।
क्या पद्मावत देखी, देखी तो कैसे लगी?
पद्मावत मूवी देखने का मौका नहीं मिला। हालांकि पद्मावती के बारे में पढ़ा जरूर है। काफी साहसी महिला थीं, जिसने जौहर कर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया था।
पुलिस में न होती, तो क्या कर रही होती? कोई हॉबी जो आपको अलग कर देती है?
अगर मैं पुलिस में नहीं होती, तब भी सिविल सर्विसेज की तैयारी ही कर रही होती। समाजिक कार्य करना ही मेरा शौक है। इससे मुझे सुकून मिलता है।
इतिहास या समाज के किस चरित्र से प्रभावित रही या जो पढ़ा उसमें से कोई पंक्ति सिर या दिल पर छाई रहती है?
मैं स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी के चरित्र से काफी प्रभावित रही हूं। कवि हरिशंकर बच्चन की कविता की कुछ पक्तियां हमेशा याद रही हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
खुद नारी होने पर कब गर्व महसूस होता है?
जब भी किसी लड़की को उच्च मुकाम हासिल करते देखती हूं, तो खुद के नारी होने पर गर्व महसूस होता है।
जब कभी गुनगुनाने का मन होता है, तो पसंदीदा गीत और खेल
जब भी गुनगुनाने का मन करता है तो अरमान मलिक का गाना बोल दो न जरा गुनगुनाती हूं। मेरा पसंदीदा खेल क्रिकेट है।
— सुरेंद्र ठाकुर, हमीरपुर