लोकसभा चुनावों को नए चेहरों की तलाश

By: Feb 18th, 2018 12:16 am

धर्मशाला  – लोकसभा चुनावों का हिमाचल में बिगुल धीरे से बज चुका है। विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस भी तेवर दिखाने लगा है। सत्तापक्ष के सांसदों से हिसाब मांगने के बहाने कांग्रेस ने सियासी माहौल गरमा दिया है। राज्य की सत्ता का केंद्र माने जाने वाले कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र में इस बार दोनों ही दलों से नए चेहरे मैदान में हो सकते हैं। भाजपा से सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार पिछली बार ही लोस चुनाव लड़ने से मना कर रहे थे, लेकिन अंतिम दौर में उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उधर, कांग्रेस में भी चंद्र कुमार के विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी द्वारा नए चेहरे पर दांव खेलने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि दोनों ही दलों में कई नए एवं युवा चेहरे आगे आने को प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पुराने मठाधीशों के सामने इनकी कितनी चल पाती है, यह बात देखने वाली होगी। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में इस बार दोनों दलों से नए चेहरों के मैदान में उतारने के कयास लगाए जा रहे हैं। दोनों ही दलों के नेता लोकसभा चुनाव कभी भी हो जाने पर तैयार होने का दाबा कर रहे हैं, लेकिन इस बार प्रत्याशी कौन होगा, इस बात को लेकर दोनों ओर से संशय बरकरार है। भाजपा के सांसद शांता कुमार अभी पूरी तरह से मोर्चा संभाले हुए हैं। नई सरकार के सत्ता में आते ही उन्होंने वर्षों से लटकी अपनी पुरानी एवं महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरा करवाने का ऐलान करवा दिया है। उनकी परियोजनाओं के तहत धरातल पर काम शुरू हो जाता है, तो पार्टी को लोस चुनावों में भी लाभ मिल सकता है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से शांता कुमार चुनाव न लड़ें, तो भी चेहरा उनकी पसंद का ही होगा। इस क्षेत्र में सांसद शांता कुमार का खासा प्रभाव है। शांता की नीतियों को लोग खूब सराहते हैं, लेकिन लोकसभा के लिए शांता का आशीर्वाद किसे मिलता है, यह देखने वाली बात होगी। उधर, कांग्रेस की ओर से अब तक चंद्र कुमार लोकसभा का सियासी मोर्चा संभालते आए हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में बेटे को उतारने के बजाय स्वयं उतर कर चंद्र कुमार अपने गृह क्षेत्र में पिछड़ चुके हैं। इस बार कांग्रेस भी मोदी लहर को पलटने के लिए नए व सशक्त चेहरों पर दांव खेलने की तैयारी में हैं। कांग्रेस व जीएस बाली व सुधीर शर्मा जैसे चेहरे भी हैं, लेकिन पार्टी की कमांड राहुल गांधी के हाथों में आने के बाद युवा चेहरों को आगे लाने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। कांग्रेस से भी संगठन के गढ़े हुए चेहरे को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। हिसाब दें सांसद, जबाब दें सांसद अभियान के तहत अचानक सियासी उबाल आने लगा है।


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