श्रद्धालुओं से वसूले जा रहे मनमाने दाम

शाहतलाई —बाबा बालक नाथ की नगरी शाहतलाई क्षेत्र में धार्मिक स्थल होने की बजह से धर्मशालाओं में लाखों रुपए का कारोबार कर इनके मालिक मोटा मुनाफा कमा कर सरकारी कई विभागों को टैक्स के रूप में चूना लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि धार्मिक स्थल शाहतलाई में श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ का तपोस्थली मंदिर होने के कारण लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस धार्मिक कस्बे में बाबा बालक नाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बाहरी राज्यों से आने वाले चैत्र मास मेलों में इतनी ज्यादा भीड़ रहती है कि शाहतलाई में बने निजी होटल यात्रियों के ठहरने के लिए कम पड़ जाते हैं, जिस कारण अधिकतर श्रद्धालु इस कस्बे में बनी हुई धर्म की आड़ में धर्मशाला में मजबूरी बस यात्रियों को रात्रि ठहराव के लिए कमरे लेने पड़ते हैं, जिसके लिए उपरोक्त इन धर्मशाला में बाहरी राज्यों के श्रद्धालु एडवांस में ही इनके पास बुकिंग करवाते हैं। यात्रियों से मुंह मांगे मोटी रकम इन धर्मशाला के संचालकों द्वारा वसूली जाती है। मेलों के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए केवल कंबल और दरी देकर हजारों रुपए वसूले जाते हैं। संचालकों द्वारा यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए वसूली जाने वाली राशि की रसीद तक नहीं दी जाती है। चैत्र मास मेला के दौरान इतनी ज्यादा संख्या में भीड़ रहती है  कि अगर कोई श्रद्धालु  इन संचालकों से  दिए गए राशि की रसीद की बात भी करते हैं तो उन्हें बदसलूकी की जाती है और कहा जाता है कि आप आगे चलिए ऐसा मेलों में अधिकतर इन धर्मशाला में ट्रेंड रहता है। धर्मशाला संचालकों का पर्यटन विभाग अवकारी विभाग व प्रशासन से यही कहा जाता है कि जो यात्री राशि दे उसे ही धर्मशाला की व्यवस्था हेतु लिया जाता है, लेकिन हकीकत में हजारों रुपए के हिसाब से एक-एक कमरे के पैसे वसूल कर इन धर्मशाला द्वारा सारे कायदे कानून  तोड़े जाते हैं। जो कि यह सारे काम मेला प्रशासन की नाक के नीचे  किए जाते हैं। अब तो चैत्र मास मेले के बाद भी वर्ष भर शनिवार व रविवार को श्रद्धालु तपोस्थली शाहतलाई में पहुंच रहे हैं, जिसके चलते हर शनिवार को भी यह धर्मशालाएं यात्रियों से खचाखच भरी हुई मिलती है। धर्मशाला संचालकों द्वारा एक-एक कमरे के दर्जनों के हिसाब यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है। यह सब चंद पैसों के लालच में ऐसा हो रहा है। अगर मेला प्रशासन ने समय रहते इन पर कोई भी अंकुश न लगाया तो कोई भी बड़ी घटना इस क्षेत्र में घट सकती है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन व सरकार से मांग है कि इन धर्मशालाओं की हर वर्ष हिसाब-किताब की चैकिंग की जाएगी, तो हकीकत का पता चलेगा और समय-समय पर प्रशासन को इनका निरीक्षण कर यात्रियों द्वारा दिए गए राशि की भी रसीद देना अनिवार्य करनी होगी।