सिर्फ एक टीचर… तभी तो स्कूल छोड़ रहे बच्चे

By: Feb 16th, 2018 12:16 am

प्राइमरी स्कूलों में ड्रॉपआउट पर एससीईआरटी की सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा

शिमला— राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा जो सर्वेक्षण करवाया गया है, उसमें हिमाचल के शैक्षणिक ढांचे में फिर से खोट का खुलासा हुआ है। इसके तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ड्रॉपआउट का मुख्य कारण प्राइमरी स्कूलों में एकल अध्यापक का होना भी है। वहीं बुनियादी सुविधाओं में खेल के मैदान न होना भी कारण बताए गए हैं। यह भी कहा गया है कि अध्यापक नौकरी तो सरकारी स्कूलों में कर रहे हैं, मगर अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। सर्वेक्षण के दौरान निजी स्कूलों के साथ सरकारी स्कूलों का आकलन किया गया है। निजी स्कूलों की तर्ज पर जहां बेहतरीन ड्रेसिंग कोड होना चाहिए, वहीं पेरेंट-टीचर मीटिंग भी अनिवार्य हो। सर्वेक्षण में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि जिस तरह से सरकारी स्कूलों में बीच सत्र के दौरान टीचरों के तबादले किए जाते हैं, उसका भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह अध्ययन भौगोलिक, सामाजिक व साक्षरता दर के घटकों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश को चार शिक्षा खंडों में बांट कर तैयार की गई प्रश्नावली के आधार पर किया गया है।  सर्वेक्षण के दौरान घटती नामांकन दर में विभिन्न पहलू सामने आए हैं, जिनमें सरकारी स्कूलों में खेल मैदान, नर्सरी/केजी का न होना, एकल अध्यापक व अध्यापक कक्षा अनुपात में असंतुलन, फेल न करने की नीति का नकारात्मक सामाजिक प्रभाव, निजी स्कूलों में प्रत्येक विद्यार्थी की शैक्षिक व गैर शैक्षिक गतिविधियों में भागीदारी, सत्र के बीच शिक्षक का तबादला जैसे कारक शामिल हैं।

गुणात्मक शिक्षा को ठोस कदम

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थानों की संख्या मायने नहीं रखती है, बल्कि बुनियादी सुविधाएं व शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध करवाना महत्त्वपूर्ण है। वह स्कूलों में घटती नामांकन दर पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए बोल रहे थे।  शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए सरकार ठोस कदम उठाएगी। निजी शिक्षण संस्थानों में नियामक तंत्र पर अध्ययन किया जा रहा है। शिक्षा सचिव डा. अरुण शर्मा सहित विभाग के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

नजदीकी स्कूल मर्ज

शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों को बंद करने की बात कभी भी नही कही, लेकिन हमारा उद्देश्य बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि समीपवर्ती स्कूलों को आपस में जोड़ने पर विचार किया जा सकता है, ताकि शिक्षक, स्कूल व विद्यार्थी अनुपात में सुधार हो। उन्होंने कहा कि इस बारे कोई फैसला जन प्रतिनिधियों तथा हितधारकों के साथ बात करने के उपरांत छात्र-छात्राओं के हित में लिया जाएगा। उन्होंने अध्यापकों से अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में पढ़ाने को कहा। दुर्गम क्षेत्रों में कुछ स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, सरकार इन स्कूलों में अध्यापकों की उपलब्धता को सुनिश्चित बनाएगी।


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