सुविधाओं की जगह थोपे जा रहे टैक्स

 शिमला — नगर निगम शिमला जनता पर आर्थिक बोझ लाध रही है। शहर में जनता को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। मगर निगम सुविधा उपलब्ध करवाने की जगह जनता पर नए-नए टैक्स थोप रही है, जो न्याय संगत नहीं है। यह आरोप शिमला जन विकास मंच ने लगाया है। शिमला जन विकास मंच के संयोजक सुभाष वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम अपनी हाउस की प्रत्येक बैठक में कोई न कोई टैक्स शहरवासियों पर थौंपने की सोच को लेकर अग्रसर है। पहले भरकम पानी के बिलों के बोझ को जनता सहन करने में विवश हुई है। उसके बाद नगर निगम ने गारबेज कलेक्शन के चार्जेज को बढ़ाया है, जबकि शिमला में न तो नियमित व वांछित मात्रा में पानी की सप्लाई दी जा रही है और न ही रोजगार डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्टरों द्वारा कूड़ा उठाया जा रहा है। अब नगर निगम द्वारा बहुमत पार्षदों की आवाज को अनसुना करते हुए हाउस टैक्स बढ़ाए जाने बारे  टैक्स कमेटी का गठन किया है। उन्होंने नगर निगम को चेताया है कि यदि हाउस टैक्स बढ़ाया तो  शहर की जनता चुने हुए पार्षदों का अपने-अपने वार्ड में बहिष्कार करने में मजबूर हो जाएंगे, जबकि वर्तमान में नगर निगम शहरवासियों को कोई भी सुविधा दिए जाने में विफल रहा है। वर्तमान नगर निगम बताए कि चुने हुए पार्षदों को एक वर्ष पूर्ण होने जा रहा है कि  उन्होंने हाऊस में शहर की जनता के हित में कौन सा मुद्दा सिरे चढ़ाया है और उसे व्यावहारिक रूप दिया है? शहर में जब तक जनता को सुविधाएं नहीं दी जाती है, नगर निगम को हाउस टैक्स बढ़ाए जाने का कोई अधिकार नहीं है, जिसमें पानी की रोजाना सप्लाई, सफाई व्यवस्था, डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन का सुचारू रूप में संचालन किया जाना, पार्किंग की उपलब्धता कराना, सीवरेज प्रणाली को दुरुस्त किया जाना, प्रत्येक घर तक एंबुलेंस रोड का प्रावधान किया जाना, शहर के प्रत्येक उपनगरों में फायर हाइड्रेंट्स का लगाया जाना तथा मालरोड की तर्ज पर पूर्ण शिमला के उपनगरों में डस्टबीन लगाए जाना शामिल है।