600 किलोमीटर साइकिल चला ढूंढी बीवी

कभी अपनी पत्नी की मौत का बदला लेने के लिए दशरथ मांझी ने पहाड़ का सीना चीर दिया था। यहां झारखंड के एक मांझी ने खोई पत्नी को ढूंढने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। लगातार 24 दिन वह साइकिल से चलते रहे। गांव दर गांव भटकते रहे। 24 दिन में 600 किलोमीटर साइकल चलाने के बाद आखिरकार मेहनत रंग लाई और उनकी लापता पत्नी उन्हें मिल गई। यह कहानी है झारखंड के मुसाबनी स्थित बालिगोडा गांव के मनोहर नायक की। मनोहर की पत्नी 14 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर अपने मायके गई थी। यहीं से वह लापता हो गईं। मनोहर ने बताया कि जब दो दिन बाद भी वह वापस नहीं लौटी, तो मैंने लापता होने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई। ओडिशा में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले मनोहर ने बताया कि जब पुलिस से कोई मदद नहीं मिली तो उन्होंने खुद पत्नी को ढूंढने का निर्णय किया। मनोहर बताते हैं कि मैंने पुरानी साइकिल को दुरुस्त कराकर पत्नी की तलाश शुरू की। मैं एक गांव से दूसरे गांव भटकता रहा। मुझे नहीं पता था कि कितना वक्त लगेगा और कहां तक जाना होगा। बस इतना पता था कि मुझे अपनी पत्नी को ढूंढकर लाना है। मनोहर कहते हैं कि सारी कोशिशों के बाद भी जब अनिता को ढूंढ नहीं पाया तो मैंने स्थानीय अखबारों से संपर्क किया। वहां लापता होने की रिपोर्ट फोटो के साथ छपवाई। इसके बाद उनकी मेहनत रंग लाई। कोलकाता के खड़गपुर में कुछ लोगों ने उसकी पत्नी को देखा। लोगों ने पुलिस को जानकारी दी। खड़गपुर पुलिस ने उसकी पत्नी की फोटो मुसाबनी पुलिस को भेजी। इसके बाद पुलिस ने मनोहर को बुलाकर फोटो की पहचान कराई। मुसाबनी एसएचओ सुरेश लिंडा ने बताया कि हमने बिना समय गंवाए मनोहर को बुलाया और कहा कि वह दोनों (पति-पत्नी) आधार कार्ड के साथ जमशेदपुर पहुंच जाएं। दस फरवरी को वहां मनोहर को उसकी पत्नी मिल गई। 11 फरवरी को दोनों घर लौट आए।