आत्मा के विकास में अहंकार बाधक

नादौन – एसएस जैन सभा नादौन के तत्त्वावधान में स्थानीय जैन स्थानक में राष्ट्र संत जैनाचार्य श्री सुभद्र मुनि जी महराज के पावन सान्निध्य में जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी के 2617वें जन्म कल्याणक पर अष्ट दिवसीय भगवान महावीर कथा का आयोजन किया जा रहा है। आचार्य श्री ने अपने संबोधन में कहा कि जीवन के वह क्षण पावन पवित्र होते हैं, जिन क्षणों में प्रभु संस्मरण व संकीर्तन किया जाता है। संसार की चर्चा व चर्या में जीवन तो व्यतीत हो जाता है, परंतु लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती, क्योंकि न तो चर्चा पूरी होती है और न ही जीवन केवल चर्चा तक ही हम रह जाते हैं। जैनाचार्य ने कहा कि आत्मा के विकास में अहंकार बाधक होता है। मन, विचार, जीवन मृदु हो तो आत्मा का उत्थान होता है। अहंकार में हमेशा टूटने का डर होता है। कोमलता है, तो मन में भय नहीं रहता। उन्होंने कहा कि अहंकार में व्यक्ति अपने स्वरूप से अपरिचित रहता है अपने मन को ही श्रेष्ठ मानता है। उन्होंने कहा कि अहंकारी कभी श्रेष्ठ नहीं होता, जो श्रेष्ठ होता है उसे अहंकार नहीं करना पड़ता।