कामकाजी महिलाओं के जज्बे को सलाम

आपाधापी के इस दौर में कामकाजी महिलाएं जिम्मेदारी की डोर से बंधी हुईं हैं। समाज, परिवार और कारोबार में जिम्मेदारी का एहसास और समय का सही प्रबंधन ही वह अस्त्र है, जिससे कि महिलाएं तमाम मुसीबतों पर विजय पा रही हैं। ऐसी कामकाजी महिलाओं के जज्बे को सलाम, जो अपने परिवार के पालन-पोषण से लेकर दफ्तर और कारोबार की जिम्मेदारी भी सहज तरीके से निभा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ऐसी ही खुद्दार महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है…..

ऊना से विकास कौंडल की रपट

ड्यूटी मैनेज करना टफ जॉब

क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में तैनात मैट्रन परमजीत कौर का कहना है कि घर व अस्पताल में जिंदगी भाग-दौड़ भरी रहती है। घर के साथ-साथ ड्यूटी पर भी ध्यान देना पड़ता है, ताकि दोनों जिम्मेदारियां बखूबी निभा सकें। स्वयं ड्यूटी करने के साथ-साथ अन्य स्टाफ की ड्यूटी मैनेज करना भी टफ जॉब है।

शिफ्ट में ड्यूटी करना मुश्किल

क्षेत्रीय अस्पताल ऊना तैनात स्टाफ नर्स सरोज कुमारी का कहना है कि शिफ्ट में ड्यूटी करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन फिर भी जैसे-तैसे मैनेज करना पड़ता है। अस्पताल में ड्यूटी के दौरान भी भागमभाग लगी रहती है, लेकिन इस ड्यूटी के साथ-साथ समाजसेवा भी हो जाती है।

मरीजों को हर सुविधा उपलब्ध

क्षेत्रीय अस्पताल ऊना की स्टाफ नर्स कृष्णा सहोता का कहना है कि ड्यूटी के दौरान मरीजों को हर सुविधा उपलब्ध करवाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। कई बार तीमारदारों से बहस तक हो जाती है, जिसमें संयम बरतते हुए उन्हें हैंडल करना होता है , ताकि कोई बबाल न हो।

खाना खाने का टाइम नहीं मिलता

अस्पताल की हाईटेक एमर्जेंसी में ड्यूटी दे रही स्टाफ नर्स पुष्प ज्योति का कहना है कि घर के साथ-साथ ड्यूटी टाइम भी व्यस्तता भरा होता है। एमर्जेंसी में तो कई बार खाना खाने तक का टाइम नहीं मिलता। एक्सीडेंटल केसों को हैंडल करना काफी जोखिम भरा व चुनौती पूर्ण होता है।