कुछ भी मुश्किल नहीं…गर ठान लीजिए

By: Mar 6th, 2018 12:05 am

आपाधापी के इस दौर में कामकाजी महिलाएं जिम्मेदारी की डोर से बंधी हुईं हैं। समाज, परिवार और कारोबार में जिम्मेदारी का एहसास और समय का सही प्रबंधन ही वह अस्त्र है, जिससे कि महिलाएं तमाम मुसीबतों पर विजय पा रही हैं। ऐसी कामकाजी महिलाओं के जज्बे को सलाम, जो अपने परिवार के पालन-पोषण से लेकर दफ्तर और कारोबार की जिम्मेदारी भी सहज तरीके से निभा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ऐसी ही खुद्दार महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है…..

– शिमला से भावना शर्मा की रिपोर्ट

परिवार को कम समय दे पाती हूं…..

कामकाजी महिलाओं के पास समय का अभाव तो रहता है लेकिन इस समय के के अभाव में भी वो काम और घर की पूरी जिम्मेदारी लेती हैं और उसे बखूबी निभाती हैं। शिमला नगर निगम में कार्यरत मेयर कुसुम सदरेट का कहना है कि कामकाजी महिला होने के चलते वो सुबह अपनी बेटी को स्कूल और पति को आफिस भेजने की जिम्मेदारी को पूरा करने के बाद समय से अपने कार्यालय पहुंचकर दिनभर कार्यालय की जिम्मेदारी संभालती हैं। दिनभर आफिस में शहर से जुड़ी समस्याओं और अहम फैसलों पर विचार विमर्श करने का कार्य वो करती है। उनका कहना है कि बड़ी जिम्मेदारी शहर की उनके कंधों पर होने के चलते वो परिवार को पहले से कम समय दे पाती है, लेकिन  उसमें भी तो अपनी जिम्मेदारी बेहतरीन तरीके से निभा रही हैं।

घर और दफ्तर को बराबर तवज्जे

हर कामकाजी महिला पर अपने काम और घर -परिवार की जिम्मेदारी सही तरीके से निभाती है। इसके लिए समय का सही तरीके से प्रबंधन करना पड़ता है। आयुर्वेद विभाग में कार्यरत अनिता का कहना है उन्होंने अपने आफिस के काम और परिवार की जिम्मेदारी को एक समान लिया है। अपने कार्य क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन जहां हर एक महिला को दफ्तर में समानता का अधिकार दिलाता है तो वहीं पर सही तरीके से जिम्मेदारी निभाकर महिला खुद की प्रतिभा गको साबित करती है। हर महिला के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वग अपने कार्य क्षेत्र और घर की जिम्मेदारी को एक समान प्राथमिकता दे।  समय का सही प्रबंधन ही हमें जिम्मेदारी से बांधे रखता है।

मुश्किल नहीं है जिम्मेदारी निभाना

कामकाजी महिला अपने काम और परिवार की जिम्मेदारी  संभालना मुश्किल नहीं है। सचिवालय में सेक्शन आफिसर तैनात नीलम चौहान का कहना है कि उन्हें आज तक अपने काम और घर परिवार की जिम्मेदारी संभालने में कभी भी कोई दिक्कत नहीं हुई है। कार्य क्षेत्र हो या घर हर दायित्व को मैंने और मेरी जैसी हर कामकाजी महिलाएं बखूबी निभाती हैं। आज भी भले ही महिला हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही है लेकिन फिर भी पुरुष प्रधान मानसिकता के चलते उसे कभी भी आगे और बेहतर ओहदों पर जाने का अवसर नहीं दिया जाता है। यह दुखद है। महिलाएं हर क्षेत्र में बेहतर कर रही हैं और परिवार, कारोबार और रोजगार में सही तालमेल बिठाए हुए हैं।

कुछ भी मुश्किल नहीं है…

एचपीयू के इंटर डिस्प्लीनरी विभाग में बतौर रिसर्च ऑफिसर कार्यरत डा. पुष्पा वर्मा का कहना है कि एक कामकाजी महिला के लिए आफिस और घर-परिवार की जिम्मेदारी संभालना मुश्किल नहीं है। इसके लिए जिस चीज की आवश्यकता है, वो है मानिसक रूप से खुद को तैयार करना। मेरा एक कामकाजी महिला होने के नाते अपने कार्यक्षेत्र के लिए जो दायित्व है और परिवार के लिए जो जिम्मेदारी है, उसे निभाने के लिए मैं खुद को मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार रहती हूं। किसी भी कार्य को बोझ के रूप में लेने से हर जिम्मेदारी एक पहाड़ की तरह लगती है। आज के दौर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना जरूरी है, जिसके लिए उनका एक साथ कई कार्यों में बेहतर प्रदर्शन करना भी जरूरी हो गया है।


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