केलांग में न डाक्टर न स्टाफ

कबायलियों की सेहत जांचने वाला अस्पताल खुद बीमार

केलांग – प्रदेश में एक ऐसा भी सरकारी अस्पताल है, जो मात्र चार डाक्टरों के सहारे चल रहा है। हैरानी तो इस बात की है कि डाक्टरों की कमी से जूझ रहे केलांग अस्पताल की सेवाएं सरकारी रिकार्ड में कांगड़ा, हमीरपुर से बेहतर बताई गई हैं। महज कागजों में ही हो रहे लोगों के उपचार की कहानी कबायली जिला का हर शख्स बयां कर देगा। सरकार के स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं देने के दावों की पोल खोल रहा केलांग अस्पताल लोगों का उपचार करने में भी असमर्थ है। लाहुल के बाशिंदों की सेहत की जिम्मेदारी उठाने वाला केलांग अस्पताल खुद बीमार है और महज चार डाक्टरों के सहारे चल रहा है। यहां बता दें कि जिला अस्पताल में मौजूद चार डाक्टरों में एक को बीएमओ का कार्यभार दिया गया है, जबकि एक डाक्टर पिछले लंबे समय से मेडिकल लीव पर है। ऐसे में दो डाक्टर केलांग अस्पताल में दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कबायलियों के सेहत के साथ चल रहे इस खेल के प्रति न सरकार गंभीर है और न ही विभाग के उच्चाधिकारी। लोगों का कहना है कि केलांग अस्पताल  नाम के लिए ही सरकार ने खोला है। यहां उपचार की कोई व्यवस्था तक नहीं है। सरकार ने जहां 16 डाक्टरों की नियुक्ति के आदेश केलांग अस्पताल के लिए निकाले थे, उसमें मात्र चार ही डाक्टर केलांग अस्पताल को मिल पाए हैं। जिला अस्पताल में डाक्टरों की कमी के कारण कबायलियों को मजबूरन जिला से बाहर का रुख करना पड़ता है। अस्पताल में एक ही सर्जन है, जो फिछले लंबे समय से बीमार चलने के चलते अवकाश पर हैं। अस्पताल की उखड़ती सांसों को लेकर जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डीडी शर्मा ने लाहुल दौरे पर आए कैबिनेट मंत्री के सामने भी पूरी व्यथा सुनाई है। उन्होंने सरकार से केलांग अस्पताल में डाक्टरों सहित अन्य स्टाफ की भर्ती करने की मांग की है।

नॉर्मल डिलीवरी की भी व्यवस्था नहीं

केलांग अस्पताल में डाक्टर न होने से महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी की व्यवस्था तक नहीं है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को केलांग से कुल्लू रैफर किया जाता है। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ न होना कबायलियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी है। अधिकारियों का कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी करवाने का रिस्क अस्पताल में इस लिए नहीं लिया जाता है कि अगर प्रसव के दौरान महिला की स्थिति नाजुक हो गई, तो डाक्टरों की कमी के कारण कुछ भी हो सकता है। इसलिए ऐसे केस को कुल्लू ही रैफर कर दिया जाता है।

एक पीएचसी ऐसी भी

लाहुल के हिंसा पीएचसी की बात करें तो यहां न तो डाक्टर है और न ही फार्मेसिस्ट। ऐसे में इस पीएचसी से क्या लोगों को सुविधा मिल पाती होगी। विभाग के अधिकारी खुद इस बात को मानते हैं कि स्टाफ की कमी के कारण उक्त पीएचसी की हालत खराब है।