गर्भवती का एचआईवी टेस्ट अब घरद्वार

सरकार ने सब-सेंटर लेवल पर दी फेसिलिटी, पीडि़तों की होगी काउंसिलिंग

मटौर—प्रदेश सरकार गर्भवतियों की सेहत को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले महिलाओं के लगभग सभी तरह के टेस्ट अप्रैल से गांव के सब-सेंटर में करवाने की व्यवस्था की जा रही है। यानी अब एचआईवी टेस्ट भी सब-सेंटर में होगा। स्वास्थ्य महकमे की ओर से इसके लिए सब-सेंटर में एचआईवी टेस्ट किट भेजी जा रही है, जो एक अच्छी पहल मानी जा रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि शुरुआती दौर में ही गर्भवती को एचआईवी स्टेटस का पता चल सकेगा। इसका सबसे बड़ा लाभ दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवतियों को होगा। जानकारी के मुताबिक पहले सब-सेंटर लेवल पर गर्भवतियों के एचबी और यूरिन टेस्ट की ही सुविधा होती थी। अन्य टेस्ट के लिए उन्हें पीएचसी-सीएचसी में जाना पड़ता था, जो कई जगह काफी दूरी पर होता है। गर्भावस्था के दौरान सफर करना कई बार जोखिमपूर्ण हो जाता है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए अब एचआईवी टेस्ट की सुविधा सब-सेंटर लेवल पर की जा रही है। एचआईवी टेस्ट में यदि कोई महिला पॉजिटिव पाई जाती है, तो स्वास्थ्य महकमे के लोग, जिसमें महिला चिकित्सक भी शामिल होंगी, उस गर्भवती की काउंसिलिंग करेंगे। उससे पूछा जाएगा कि प्रेग्नेंसी रखनी है या फिर नहीं। उसे मानसिक रूप पर तैयार किया जाएगा कि बच्चा पैदा करने से उसे और उसके बच्चे को क्या नुकसान हो सकता है और उसका उसी वक्त से ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाएगा। कांगड़ा के सीएमओ डा. आरएस राणा का कहना है कि गर्भवती का एचआईवी टेस्ट अब सब-सेंटर लेवल पर होगा। अप्रैल के पहले हफ्ते से यह सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।

हर साल सौ में से दो केस पॉजिटिव

स्वास्थ्य महकमे की मानें तो हर साल होने वाले डिलीवरी के मामलों में सौ में से एक या दो केस एचआईवी पॉजिटिव के सामने आते हैं, क्योंकि ये टेस्ट अभी पीएचसी या सीएचसी लेवल पर हो रहे थे। ऐसे में कई बार चौथे-पांचवें महीने में जाकर महिला को पता चलता था कि वह एचआईवी पॉजिटिव है। ऐसे में किसी भी तरह की मेडिकल ट्रीटमेंट जहां गर्भवती महिला के लिए घातक होती थी, वहीं मानसिक रूप से भी ऐसे सदमे को सह पाना उसके लिए काफी कष्टदायी होता था।