गोवंश बचाने के लिए प्राकृतिक खेती जरूरी

पंचायतीराज मंत्री बोले, कृषि व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने रखे 25 करोड़

बिलासपुर —देश ने हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के लिए आजादी के बाद जो पाश्चात्य मॉडल अपनाया, उसकी वजह से हमारी कृषि क्षमता और गोवंश खत्म होने के कगार पर जा पहुंचा है। इसकी वजह से हमारा स्वास्थ्य कई बिमारियों का शिकार हो गया और जीवन संकट में आ गया। इसके निवारण के लिए प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक कृषि व्यवस्था के लिए 25 करोड़ का प्रावधान किया है। यह बात  पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने धौलरा मंदिर में विश्व हिंदू परिषद के आयाम एवं भारतीय गोवंश रक्षण संवर्द्धन परिषद के प्रांतीय गोरक्षा सेवा सम्मेलन में कही। उन्होंने संत समाज और संघ परिवार को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपना राष्ट्र धर्म व दायित्व समझते हुए गोवंश की रक्षा के लिए सतत प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा डेयरी फार्म खोलने वाले स्वयं सहायता समूहों को 50 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक गांव में तालाब निर्मित करवाए जाएंगे तथा पीपल व बट वृक्ष लगाने की व्यवस्था करवाई जाएगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री खेम चंद ने भारतीय नस्ल के गोवंश के संर्दभ में विस्तृत व्याख्यान देते हुए बताया कि देश में मात्र 14 करोड़ गोवंश बचा है, जिसके सरंक्षण के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है। प्रदेश महामंत्री गोरक्षा राम ऋषि ने बताया कि प्रदेश में इस समय गोशालाओं के माध्यम से पांच से साढ़े छह हजार गोवंश की देखभाल की जा रही है। प्रदेश में 116 गोशालाओं की तालिका बनाई गई है। कार्यक्रम का मंच संचालन एडवोकेट तुषार डोगरा विश्व हिंदू परिषद जिलाध्यक्ष ने किया। इस अवसर पर स्थानीय विधायक सुभाष ठाकुर, संत अभिषेक गिरि, विहिप के प्रदेशाध्यक्ष लेख राज राणा, क्षेत्रीय गोरक्षा प्रमुख शारदा के अतिरिक्त संत-महात्मा, विहिप पदाधिकारी और व अन्य उपस्थित रहे।