जांच हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम की, परेशान वेंडर

 नाहन —प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा स्कूलों में सप्लाई किए गए सामान की जांच बिठाने के बाद निगम को सामान उपलब्ध करवाने वाले वेंडरों में हड़कंप मच गया है। आलम यह है कि सरकार ने जब हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम की जांच के ऑर्डर दिए उसके बाद वेंडरों की धुकधुकी बढ़ गई है। भले ही मीडिया में मामला आने के बाद से ही वेंडरों व निगम में पहले ही हड़कंप मच गया था, लेकिन सरकार के जांच के आदेशों के बाद तो मानों दोनों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं। गौर हो कि गत वर्ष हिमाचल राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा प्रदेश के कई स्कूलों में स्पोर्ट्स का सामान दिया था। इस सामान की न केवल गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा है बल्कि सामान की कीमतों में भी जमीन आसमान का अंतर सामने आया है। अकेले जिला सिरमौर के 10 स्कूलों में हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा करीब एक करोड़ रुपए का खेल का सामान सप्लाई किया है। निगम द्वारा स्कूलों को जो सामान दिया गया है वह निगम ने जिला सिरमौर के ही वेंडरों से खरीदा है। हद तो तब हुई जब वेंडरों द्वारा सप्लाई किए गए सामान की कीमतें मार्किट से दोगुने से चौगुने दामों पर स्कूलों को मुहैया करवाई गई है। जानकारी के मुताबिक जब यह मामला मीडिया में आया तो वेंडरों व हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के अधिकारियों ने मामले को दबाने के भरसक प्रयास किए गए, लेकिन मीडिया ने मामले को उजागर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। रही सही कसर जिला के अन्य वेंडरों ने जिला मुख्यालय में पत्रकार वार्ता कर पूरी कर दी। अन्य वेंडरों में जिला मुख्यालय नाहन में पत्रकार वार्ता में ओर भी कई हैरतअंगेज खुलासे किए हैं। इनमें न केवल खेल सामग्री की अनियमितताओं को सामने लाया, बल्कि हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम व अन्य निगमों द्वारा अस्पतालों व अन्य सरकारी कार्यालयों में दिए गए सामान का भी कच्चा चिट्ठा मीडिया के सामने रखा। अब देखना यह है कि क्या प्रदेश सरकार हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के साथ-साथ अन्य निगमों व बोर्डों तथा इन सरकारी उपक्रमों को सप्लाई करने वाले वेंडरों के खिलाफ भी कार्रवाई करती है या फिर मामले को दबा दिया जाता है।

राजनेताओं की शरण में जा रहे वेंडर

जानकार बताते हैं कि प्रदेश के निगमों व बोर्डों को सप्लाई करने वाले वेंडर राजनेताओं की शरण में जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जिला सिरमौर व अन्य जिलों के कुछ वेंडरों ने राजनीतिक आकाओं से नजदीकियां बनानी शुरू कर दी हैं। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि कुछ राजनेताओं ने वेंडरों को आश्वस्त तो किया है लेकिन अभी बात नहीं बन पा रही है। गौर हो कि निगमों व बोर्डों को खेल सामग्री, शिक्षण सामग्री व अस्पतालों को मेडिकल उपकरणों की सप्लाई करने वाले वेंडरों का लाखों रुपए अभी भी फंसा हुआ है। जानकार तो यह भी बताते हैं कि कुछ वेंडर अब इस मामले में कानूनी सलाह भी ले रहे हैं, लेकिन प्रिंट रेट से अधिक सामान की सप्लाई करने के चलते उनको धुकधुकी लगी हुई ।