जिम्मेदारी के धागे ने बांध दी हमारी जिंदगी

By: Mar 5th, 2018 12:12 am

आपाधापी के इस दौर में कामकाजी महिलाएं जिम्मेदारी की डोर से बंधी हुईं हैं। समाज, परिवार और कारोबार में जिम्मेदारी का एहसास और समय का सही प्रबंधन ही वह अस्त्र है, जिससे कि महिलाएं तमाम मुसीबतों पर विजय पा रही हैं। ऐसी कामकाजी महिलाओं के जज्बे को सलाम, जो अपने परिवार के पालन-पोषण से लेकर दफ्तर और कारोबार की जिम्मेदारी भी सहज तरीके से निभा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ऐसी ही खुद्दार महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है…..

बखूबी निभा रही हूं भूमिका

अंजु शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जहां महिलाओं को बधाई दी है, वहीं उन्होंने कहा कि नौकरी और परिवार को चलाने में कठिनाई तो अवश्य रूप से महलों को रहती है, लेकिन नौकरी वाली महिला अपनी भूमिका बखूबी रूप से निभा रही है।

योजना अनुसार काम

अंजना ने बताया कि महिला जैसे ही घर से बाहर आई हैं, तो इससे विकास दर में भी जो उन्नति हुई है उसके लिए महिलाओं का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि नौकरी और घर-परिवार को पालने में इकट्ठा कार्य होने से दिक्कत रहती है, लेकिन घर की जिम्मेदारी के साथ बाहर नौकरी पेशा करना जीवन में दौड़-धूप करना महिलाओं के लिए गर्व का विषय भी है, जिसके लिए हमें अपने जीवन में समयबद्ध योजना बनानी पड़ती है।

जीवन से कंप्रोमाइज

बबीता पवार ने बताया कि घर में बुजुर्गों की देखभाल करना और साथ ही में अपने परिवार को भी पालन-पोषण करना रिश्तेदारी देखना और उसके बाद दिन में नौकरी करना कठिन तो है, लेकिन पारिवारिक जीवन में महिलाओं को अपने जीवन से कंप्रोमाइज करना पड़ता है। दिक्कत के बावजूद ये सब कार्य करने पड़ते है। हालांकि घर की स्थिति के हिसाब से सरकार को भी ऐसी नौकरी वाली महिलाओं को घर के ही नजदीक रखने की योजना होनी चाहिए।

काम  समय पर निपटाना

वनीता चंदेल ने बताया कि महिलाओं को घर और बाहर के कार्यों में तालमेल बैठाना आसान भी है, उसके लिए मैं समझती हूं महिलाओं के पति व परिवार सदस्यों का सहयोग और सकारात्मक भाव बहुत मायने रखते हैं। इसके लिए में अपनी समयसारिणी निर्धारित करती हूं और हर कार्य को समय पर निपटाने के लिए कोशिश रहती हैं। उन्होंने बताया कि मेरे सारे कार्य व्यवस्थित रहते हैं, जिस वजह से मुझे कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ती है, जबकि कार्य व्यवस्थित न हो तो जीवन भी बोझ लगने लगता है।

समाज में अहम योगदान

सीमा कुमारी ने बताया कि महिलाओं को नौकरी और घर परिवार चलाने में कठिनाई तो अवश्य होती है, लेकिन हौसले के साथ वह अपने परिवार के सहयोग से अपने कार्यों को कर रही हूं, जिसके लिए जो भी कार्य करने हैं वह खुशी से न कि बोझ समझ कर। अगर परिवार और समाज की महलों को स्पोर्ट रहे तो और ज्यादा महिला वर्ग का समाज में योगदान हो सकता है।

सुखी मन से काम

नीलम वर्मा ने बताया कि नौकरी और घर -परिवार दोनों इकट्ठे साथ साथ चलाना इसके लिए अपने आप में एक तालमेल बिठाना पड़ता है, जिसके लिए नौकरी के साथ-साथ अपने घर-परिवार के लिए समय निकालना पड़ता है। इनका मानना है कि जो भी कार्य करना है वह सुखी मन से करना है।


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