टीएमसी में शिखर के लिए घमासान

मेडिकल कालेज में चर्चाओं का बाजार गर्म, ट्राइएंगल में घूम रही प्रिंसीपल की कहानी

टीएमसी— डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा के ‘शिखर’ एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार जो घमासान चल रहा है, वह मेडिकल कालेज के शीर्ष पद पर संभावित नई ताजपोशी का है। टांडा मेडिकल कालेज में आजकल इसे लेकर चर्चाओं को बाजार गर्म है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा गया है ‘टीएमसी वालों कर लो तैयारी..आ रहे हैं इच्छाधारी’। टीएमसी के शीर्ष पद के लिए इन चर्चाओं की कहानी ट्राइएंगल पर घूम रही है। चर्चा में पहली कहानी है टीएमसी के मौजूदा वाइस प्रिंसीपल की, जो ऑर्थो के विभागाध्यक्ष भी हैं। उन्हें प्रिंसीपल बनाए जाने की चर्चा चली हुई है।  इसके अलावा उनकी बतौर एमएस स्किल के चर्चे आजकल अस्पताल से संबंधित स्टाफ की जुबान पर हैं। हालांकि उन पर पार्टी विशेष का ठप्पा होने की बात भी की जा रही है। दूसरा चर्चित नाम उन डाक्टर साहिबान का है, जो पूर्व में टीएमसी के प्रिंसीपल रह चुके हैं और मौजूदा समय में हमीरपुर मेडिकल कालेज के शीर्ष पद पर हैं। उन्हें बेस्ट एडमिनिस्टे्रटर माना जाता है। कुछ डाक्टरों की मानें तो उन्होंने उस वक्त कालेज को रफ्तार देने में अहम रोल प्ले किया था, जब टीएमसी रैगिंग प्रकरण के कारण पूरे देश में बदनामी झेल रहा था।  हालांकि सूचना यह भी है कि वह यहां आने के लिए इच्छुक नहीं हैं। दूसरा नियमानुसार केवल अतिरिक्त कार्यभार ही दिया जा सकता है। तीसरा मेडिकल कालेज के मौजूदा शिखर का है, जो कि देश के बेहतर सर्जन माने जाते हैं। कालेज का कुछ स्टाफ चाहता है कि वही इस पद पर बने रहें, क्योंकि वह बहुत अच्छे सर्जन भी हैं। अपने हटाए जाने की चर्चाओं के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने की बात कर स्वास्थ्य महकमे को कशमकश में डाल दिया है।

नेतृत्व बदलने के यह बता रहे कारण

अब सवाल यह उठता है कि टीएमसी के शिखर नेतृत्व को बदलने की जरूरत क्यों पड़ी। इसके पीछे भी कुछ कारण बताए जा रहे हैं। मौजूदा प्रिंसीपल को यहां सेवाएं देते हुए एक साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन कुछ समय से कालेज विवादों के लिए चर्चा में रहा है। उनकी प्रशासनिक पकड़ बहुत अच्छी नहीं है। यहां स्टेंट और चैटिंग जैसे मामले सामने आए, जो चर्चा में रहे। सरकार तक इसकी शिकायत भी पहुंची है।