ट्राइबल एरिया में जरूरी हों सेवाएं

धर्मशाला  – हिमाचल शिक्षक मंच प्रदेश सरकार के प्रस्तावित स्थानांतरण नीति के सर्मथन करते हुए कुछ सुझाव दिए है। मंच ने हिमाचल के शिक्षकों के लिए जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करना अनिवार्य बताया है। मंच ने पहले भी कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति की मांग प्रमुखता से रखी थी, परंतु इस पर कोई विशेष कार्य नहीं हो पाया था। सरकार द्वारा प्रस्तावित नीति के मसौदे पर मंच से जुड़े शिक्षाविदों द्वारा गंभीर विचार किया गया है। इसके उपरांत मंच ने प्रस्तावित नीति के कई बिंदुओ को भ्रमित करने वाला और व्यावहारिक तौर पर मुश्किल करार दिया है। इसके ेलिए शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को ज्ञापन भी प्रेषित कर दिया गया है।  प्रस्तावित नीति की प्रस्तावना में लिखा गया है कि नीति से दुर्गम क्षेत्रों में अध्यापकों की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जाएगी, लेकिन वर्तमान में खाली चल रहे विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों के पदों को भरे बिना सरकार का यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में शिक्षकों के सभी पदों को भरने की शर्त अनिवार्य रूप जोड़ी जानी चाहिए। मंच के संयोजक अश्वनी भट्ट्र, संजय  मोगू , तपिश थापा व अजय चौधरी ने कहा कि केवल अध्यापकों की उपलब्धता से ही शिक्षा में गुणवत्ता नहीं आएगी। इसके लिए अध्यापकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करना होगा। नीति में एक धारा यह भी डालनी चाहिए कि शिक्षकों से कोई भी गैर-शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाए। मौजूदा नीति की  धारा-3 में स्कूल प्रवक्ताओं को शामिल नहीं किया गया है और न ही गैर-शिक्षक कर्मचारियों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पांच-ए, बी, सी, डी, व ई श्रेणी में स्कूलों के वर्गीकरण को भी मंच ने सही करार नहीं दिया है। अतः मंच की यह मांग है कि श्रेणियों का आधार भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ कर्मचारी द्वारा पूर्व में चुना गया मनपंसद स्टेशन होना चाहिए। जिन कर्मियों का गृह व कार्य क्षेत्र एक हो या जहां पर उसने स्वेच्छा से तबादला करवाया हो, उसे ही उस कर्मचारी का ए श्रेणी का स्टेशन ही मानना चाहिए।

तबादला नीति पर ये सुझाव भी दिए

मंच का कहना है कि प्रत्येक कर्मचारी को प्रथम नियुक्ति पर अनिवार्य रूप से जनजातीय या दुर्गम क्षेत्र में ही तैनाती दी जाए व कम से कम तीन वर्ष के अनिवार्य सेवाकाल की शर्त जोड़ी जाए। स्थानांतरण नीति सभी पर बराबर लागू होने चाहिएं। महिलाओं को प्रस्तावित नीति में जो 20 अंक दिए जा रहे हैं, वह गलत है। पीएमआईएस यानि आनलाईन सेवा पुस्तिका को नियमित रूप से आद्यतन रखने की जिम्मेदारी अध्यापकों पर ही डाल दी गई है। ऑनलाइन सेवा पुस्तिका को लगातार अपडेट करने की जिम्मेदारी विद्यालय के मुखिया व क्लर्क की है, न कि अध्यापक की। ऐसे में इस क्लॉज को हटाया जाए।