दुकानदारों ने नहीं बनाए मेडिकल  

बिलासपुर  —राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले में मिठाई विक्रेता और खाद्य पदार्थ के 80 प्रतिशत दुकानदारों द्वारा मेडिकल पावर के ही सामान बेचा जा रहा है। इस बात का खुलासा तो तब हुआ जब सोमवार को जिला के डेजिग्नेटेड आफिसर सविता ठाकुर ने मेले का निरीक्षण किया तो पाया कि किसी भी दुकानदार ने मेडिकल नहीं बनवाया है। वहीं, यह दुकानदार बिना किसी डरभाव से रंग बिंरगी मिठाइयां और खाद्य पदार्थ बेच रहे है। वहीं इस संदर्भ में कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पाई जा रही है क्योंकि जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही इन दुकानों का निरीक्षण नहीं कर रहे हैं तो फिर दुकानदार तो ऐसी हरकते करते नजर आएंगे ही। गौर हो कि बिलासपुर जिला में एक भी फूड एंड सेफ्टी आफिसर नहीं है, जिसके चलते जिला के डेजिग्नेटेड आफिसर ने ही मेले का सारा कार्यभार संभाला हुआ है। दरअसल, होना ऐसा चाहिए था कि स्वास्थ्य विभाग को स्पेशल मेले के दौरान किसी एक अधिकारी की ऐसी ड्यूटी लगानीं चाहिए थी कि वह हर समय इन दुकानों का औचक निरीक्षण करें और जहां पर शक हो तो उन दुकानों के खाद्य पदार्थाें के सैंपल जांच किए जाए, ताकि हर संभव लोगों के स्वास्थ्य के साथ कोई भी खिलवाड़ न हो। इस तरह स्वास्थ्य विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही के चलते विभागीय अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए है। जिला की डेजिग्नेटेड आफिसर सविता ठाकुर ने बताया कि वह सोमवार को मेले में दुकानदारों के लाइसेंस बनाने के लिए गई थी, परंतु जब वहां पर जाकर देखा तो मेले में बस बहुत की कम दुकानदारों के पास स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल बनाए थे। इसके चलते सोमवार कोे उन्होंने लाइसेंस नहीं बनाए। क्योंकि दरअसल होता ऐसा है कि सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग से दुकानदार को मेडिकल पावर लानी पड़ती है, तब जाकर दुकानों का लाइसेंस बनता है। ऐसे में हम अनुमान लगा सकते हैं कि मेले में कम गुणवत्ता के सामान बेचे जा रहे है। डेजिग्नेटेड आफिसर ने इन सभी दुकानदारों को कड़े शब्दों में आदेश जारी किए हैं कि वह जल्द ही स्वास्थ्य केंद्रों या फिर जिला अस्पताल में जाकर लाइसेंस बनाए, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।