नए कालेज चलाने को पुरानों की बलि

By: Mar 13th, 2018 12:20 am

टीएमसी से ट्रांसफर कर दिए 14 डाक्टर, मेडिकल कालेज चंबा-हमीरपुर भेजे

टीएमसी – प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही चरमराई हुई हैं, ऊपर से जिन अस्पतालों या मेडिकल कालेजों में थोड़ा-बहुत काम हो रहा है, वहां से डाक्टरों के तबादलों का सिलसिला जारी है। तबादलों की वजह पूर्व सरकार द्वारा प्रदेश में खोले गए चार नए मेडिकल कालेजों को बताया जा रहा है। बताते हैं कि मेडिकल कालेजों की कुछ एसोसिएशन सरकार के इस निर्णय से नाराज हैं और जल्द ही कोई बड़ा निर्णय लेने की सोच रही हैं। जानकारों की मानें तो प्रदेश में खोले गए चार नए मेडिकल कालेजों नाहन, मंडी, हमीरपुर और चंबा में एमसीआई की टीम जल्द ही दौरा करने वाली है। यहां एमबीबीएस कक्षाओं के बैच बिठाने की योजना बनाई जा रही है, ऐसे में इन कालेजों के लिए फैकल्टी स्टाफ (प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफसर और असिस्टेंट प्रोफेसर) की जरूरत है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए आईजीएमसी और डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा को हलाक किया जा रहा है। शिमला से फैकल्टी स्टाफ को नाहन और मंडी भेजा जा रहा है और टीएमसी से हमीरपुर और चंबा के लिए फैकल्टी स्टाफ की ट्रांसफर की जा रही है। टीएमसी में तो पहले ही फैकल्टी स्टाफ की कमी चल रही है। यहां से 14 डाक्टरों का तबादला किया गया है। कालेज की टैमकोट (टीचर एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कालेज टांडा) खासी नाराज बताई जा रही है। एसोसिएशन की ओर से इस बारे में मीटिंग किए जाने का भी समाचार है। बताते हैं कि टैमकोट सरकार के इस जनविरोधी फैसले के खिलाफ कड़ा कदम उठा सकती है। पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा डिस्पेंसरियों की तरह खोले गए इन कालेजों को चलाने के लिए नई भर्तियां करने के बजाय सरकार पुराने कालेजों की बलि लेने पर उतारू है, जो कि सही नहीं है, क्योंकि इससे उन छात्रों के साथ भी खिलवाड़ होगा जो स्टेबलिश हो रहे मेडिकल कालेजों में मौजूदा समय में पढ़ रहे हैं और उनके साथ भी जो नए खुले मेडिकल कालेजों में एडमिशन लेंगे।

इंदौर में रद्द हो चुकी है मान्यता

यहां यह बताना जरूरी है कि मेडिकल कालेजों में इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी स्टाफ की कमी के चलते मध्य प्रदेश के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कालेज की मान्यता को एमसीआई ने रद्द कर दिया था, जबकि नए खुलने वाले नौ मेडिकल कालेजों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। हिमाचल में भी पुराने मेडिकल कालेजों से जिस तरह फैकल्टी स्टाफ को ट्रांसफर किया जा रहा है, अगर एमसीआई ने औचक दस्तक दे दी, तो  इन पर भी एक्शन हो सकता है।


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