बनूरी में चाय पत्तियों के तुड़ान का श्री गणेश

पालमपुर—चाय बागान मालिक अप्रैल तोड़ से पहले विशेष मुहूर्त निकलवाते हैं तथा चाय का सीजन बढि़या जाए व उत्पादन अच्छा हो इसके लिए चाय उत्पादक और कामगार पूजा करते हैं। पालमपुर स्थित सीएसआईआर-आईएचबीटी में पूजा-अर्चना के पश्चात ही प्लकिंग का काम शुरू किया जाता है। गुरुवार को संस्थान के निदेशक व टीम ने बनूरी स्थित चाय बागान में पूजा-अर्चना के साथ चाय तोड़ सीजन का श्रीगणेश किया। गौरतलब है कि कांगड़ा चाय की मांग हर सीजन में बनी रहती है पर अप्रैल तोड़ के नाम से जानी जाती चाय की डिमांड कुछ अधिक ही रहती है। इस सीजन की चाय की बरसों से अलग ही पहचान है। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि अंग्रेजों के जमाने में अप्रैल चाय की फर्स्ट फ्ल्श  चाय का प्रयोग सिर्फ  रॉयल यानी राजा-महाराजा के परिवारों द्वारा ही किया जाता था। अक्तूबर से मार्च का समय चाय के लिए डोरमेंसी यानी शीत निंद्रा का समय माना जाता है और इसके बाद अप्रैल में आने वाली कोपलों की बनी चाय गुणवत्ता और महक के मामले में बाकी सीजन की चाय से ऊपर रहती है। यही वजह है कि अप्रैल की चाय की मांग बाकि सीजन की चाय से अधिक रहती है। वैज्ञानिकों के अनुसार अक्तूबर से मार्च तक तापमान कम रहने के बाद जब अप्रैल में तापमान बढ़ता है और इस समय जो टी बड्स तैयार होते हैं, वो अनेक मायनों में बाकी सीजन से अलग गिने जाते हैं।