बालासुंदरी मंदिर में चैत्र नवरात्र मेले आज से

नाहन —महामाई त्रिपुर बालासुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है जहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, परंतु चैत्र एवं अश्वनी मास में पड़ने वाले नवरात्र के अवसर पर इस मंदिर में विशेष मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु सिरमौर के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ एवं उत्तराखंड इत्यादि क्षेत्रों से आकर माता के दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस वर्ष चैत्र मास में आयोजित होने वाला नवरात्र मेले 18 से 31 मार्च, 2018 तक माता बालासुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर में पारंपरिक ढंग से मनाए जा रहे हैं, जिसके लिए मंदिर न्यास द्वारा सभी आवश्यक प्रबंध पूर्ण कर लिए गए हैं। 18 मार्च को मंदिर में प्रातः पांच बजे माता बालासुंदरी की विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। इसके उपरांत माता का ध्वज चढ़ाया जाता है। जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित महामाई त्रिपुर बालासुंदरी का लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष पुराना मंदिर धार्मिक तीर्थस्थल एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखता है। यहां पर चैत्र और अश्वनी मास के नवरात्र में लगने वाले मेले की मुख्य विशेषता यह है कि यहां पर किसी भी प्रकार की शोभा यात्रा या जुलूस नहीं निकाला जाता। लोग हजारों की संख्या में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश से टोलियों में मां भगवती की भेंटे गाते हुए आते हैं और मंदिर परिसर में सारी रात मां का गुणगान करते हैं। इस मेले में किसी भी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं करवाया जाता। श्रद्धालु स्नान करने के उपरांत शुद्ध वस्त्र पहनकर अपनी मुरादें पाने के लिए प्रातः से ही लंबी कतारों में माता का गुणगान करते हुए माता बालासुंदरी के विशाल भवन में दर्शन करते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस पावन स्थली पर माता साक्षात रूप में विराजमान है और यहां पर की गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है। चैत्र नवरात्र मेले के सुनियोजित आयोजन करने के लिए मंदिर न्यास द्वारा सुरक्षा एवं अन्य सभी प्रबंध पूरे कर लिए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। मंदिर क्षेत्र में आग्नेय, धारधार हथियार उठाने तथा विस्फोटक सामग्री को लाने-ले जाने और नारियल चढ़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। असामाजिक तत्त्वों पर कड़ी नजर रखने के लिए मेला परिसर में 16 सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं। स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए बाइपास का निर्माण किया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से 250 से अधिक पुलिस और होमगार्ड के जवान तैनात किए जा रहे हैं। मेले में सफाई व्यवस्था के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। धार्मिक मेले एवं त्योहारों से जहां लोगों को आपसी भाईचारा, बंधुत्व का संदेश मिलता है, वहीं पर इनके आयोजन से राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को भी बल मिलता है।