बिलासपुर में ‘तेरा घर भी जला दूंगा’

बिलासपुर  – जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर में बुधवार को मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में किया गया। सर्वप्रथम साहित्यकारों द्वारा दीप प्रज्ववलित करके किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने की तथा मंच का संचालन रविंद्र भट्टा द्वारा किया गया। सर्वप्रथम प्रकाश चंद शर्मा द्वारा मां सरस्वती की बंदना की गई। इसके उपरांत सरस्वती देवी की कविता की पंक्तियां थीं ‘‘तेरा गम तो गम है, मेरा गम कितना कम है। जसबंत सिंह चंदेल की कविता की पंक्तियां मेरे घर को तूने ,अगर जने अतिश किया तो यकीनन है, तेरा घर भी जला दूंगा। जीतराम सुमन की कविता का शीर्षक था-‘गलाई नी सक्या‘‘ पंक्तियां थीं निठियां गल्लां जे बलोईगी हूंगी, इन्हां गल्लां ने तुसे बुरा नी मनायों, मिलगे में कित्ती बी, सुखा-ंदुखा री गठरी मिल्ली के चुकवायों। रूप शर्मा की रचना की पंक्तियां थीं-ंउचय चप्पला री मार दारू- याद कराई देंदें । अवतार कौंडल ने अलविदा- शीर्षक से रचना प्रस्तुत की- पंक्तियां थीं।  ईंगित कर नाम अपना हम दुनिया से रवाना हो चले। सुरेंद्र मिन्हास ने नंद नी आई शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थीं स्टेजा पर नचदी गांवा री जनाना, पर कहलूरी उत्सवा रा रूप प्रचंड। चऊं पासंयां दे रब्धा जालू जे मैं, सैकडों लोक लई करो पूरी नंद, सोफे पर बैठुरे डीसी साहब, डीएलओ मैडम कठयालपन निभाओ, अभिषेक ओरी रा छैल मंच संचालन, प्रेमलता ओरी नोटां री बरखा लाओ। नरैणू राम हितैषी की रचना की पंक्तियां थीं-मेरी पत्नी बडी भोली, इक दिन मु-हजये बोली। कैप्टन बालक राम शर्मा (रिटार्यड) की रचना की पंक्यिं थी दोस्त अब थकने लगे हैं रात को नींद में जमने लगे हैं। रविंद्र चंदेल की कविता की पंक्तियां कविता ओर कवि में जंग है, संसार इनसे तंग हैं, कवि उडे आसमान, समाये पाताल, एक शेर तो दूजा सवा शेर। कवि को अपना लेखन कार्य निष्पक्ष रूप से करना चाहिए। इस अवसर पर परमदेव शर्मा, इंद्र सिंह चंदेल, कांता देवी, प्यारी देवी व अन्य भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे।