ऐसे मचेगी तबाही
टीम के मुताबिक इस ज्वालामुखी में इतनी ताकत है कि इसका मलबा आसमान में सैकड़ों किलोमीटर तक फैलेगा। इस निकलने वाली मोटी राख आसमान में जम जाएगी जो सूरज की किरणों को पूरी तरह ढक देगी। इससे परमाणु के हमले के बाद जैसे हालात बन जाएंगे। सूरज की किरणें महीनों धरती तक नहीं पड़ेगी और हम न्यूक्लियर विंटर जैसा कुछ देखेंगे। इतना ही नहीं इसका लावा भी कई किलोमीटर के दायरे में बिखरेगा जिससे वहां जीवन नष्ट हो जाएगा। इससे पहले ज्वालामुखियों पर रिसर्च करने वाले एक साइंटिस्ट ने बताया था कि सबसे खतरनाक माने जाने वाले यलोस्टोन में बेहद ताकतवर धमाका हो सकता है। अमरीका के यलोस्टोन ओबजरवेटरी में रिसर्च कर रहे इस साइंटिस्ट ने चिंता जताई थी कि इस बार इसके विस्फोट से हाइड्रोथर्मल इरप्शन होगा। अगर ऐसा होता है तो इससे लगे कई इलाकों में विनाश जैसी स्थिति बन जाएगी और कई जानें को खतरा भी होगा।
क्या है हाइड्रोथर्मल इरप्शन
हाइड्रोथर्मल इरप्शन तब होता है जब जमीन के नीचे मौजूद कोई पानी का बड़ो स्त्रोत ऐसे ज्वालामुखी की वजह से बेहद गर्म हो जाता है। यह इतना गर्म हो जाता है कि विस्फोट के साथ जमीन को चीरता हुआ कई सौ फीट तक निकलता है। खौलते हुए पानी के साथ-साथ चट्टानों के टुकड़े बम के गोले की तरह निकलते हैं।
13 हजार साल पहले हुआ था ऐसा धमाका
डाक्टर पोलैंड ने बताया कि लगभग 13 हजार साल पहले ऐसा ही एक धमाका इस ज्वालामुखी के पास हुआ था जिस वजह से यहां 2.5 किलोमीटर चौड़ी खाई बन गई थी। डाक्टर ने आगे कहा कि यहां ऐसे छोटे-मोटे विस्फोट अकसर होते रहते हैं जिससे कई मीटर लंबे गड्ढे बनते रहते हैं, पर अब कुछ विनाशकारी भी हो सकता है।