यौन शोषण के खिलाफ सोशल अभियान

बीते कुछ दिनों से दुनिया भर की कई मुस्लिम और अन्य धर्म की महिलाएं हज और अन्य धार्मिक स्थलों पर अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहार के किस्से सोशल मीडिया पर साझा कर रही हैं। ट्विटर पर इस मुहिम की शुरुआत मिस्र-अमरीकी महिलावादी और पत्रकार मोना एल्टहावी ने की। उन्होंने 2013 में हज की यात्रा के दौरान अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न का अनुभव साझा किया…

मोना ने अपने ट्वीट में लिखा, हज यात्रा के दौरान अपने यौन उत्पीड़न की कहानी मैंने इस उम्मीद में साझा की कि दूसरी मुस्लिम महिलाएं भी चुप्पी तोड़ें और पवित्र धार्मिक स्थलों पर अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के अनुभवों को साझा करें। इसके बाद मानों ऐसे अनुभवों की बाढ़ सी आ गई और कई महिलाओं ने अपनी कहानियां शेयर कीं। 24 घंटे से भी कम समय में इस हैशटैग से दो हजार ट्वीट किए गए, लेकिन इन सबके उलट कुछ महिलाएं मानती हैं कि इन पवित्र जगहों पर ऐसी घटनाएं किसी गलतफहमी के कारण होती हैं या फिर इनको साजिश के तहत गढ़ा जाता है। साल 2016 में हज पर जाने वालीं दिल्ली की 45 वर्षीय महिला खुशनुमा कहती हैं, ‘हज के दौरान काफी भीड़भाड़ होती है और तवाफ एक प्रकार की परिक्रमा में तो काबा शरीफ के चारों ओर चक्कर काटना होता है, जिस कारण धक्का-मुक्की होना आम बात है। वह कहती हैं कि सभी लोगों को तवाफ पूरा करने की जल्दी होती है, जिसकी वजह से लोग तेजी से आगे बढ़़ते हैं और उसके कारण हाथ इधर-उधर छू जाते हैं। उन्होंने कहा कि मक्का या मदीना में उन्होंने ऐसी कोई हरकत नहीं देखी। हालांकि, वह कहती हैं कि ऐसा जरूरी नहीं है कि महिलाओं के साथ मक्का, मदीना या किसी पवित्र स्थल पर कोई छेड़खानी नहीं होती हो। वहीं, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की 28 वर्षीय शोध छात्रा शाहिदा खान एक सोशल मीडिया कैंपेन को पश्चिमी प्रोपेगैंडा का हिस्सा बताती हैं। वह कहती हैं कि यह सिर्फ और सिर्फ इस्लामोफोबिया को बढ़ाने के लिए चलाए जाते हैं। साल 2017 में उमरा धार्मिक यात्रा करने के लिए मक्का और मदीना गईं शाहिदा कहती हैं कि उन्होंने कभी भी वहां छेड़छाड़ या यौन उत्पीड़न जैसी चीज होते महसूस नहीं की। वह कहती हैं, मक्का के काबा शरीफ में पहुंचा कोई भी मर्द किसी गैर औरत की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखता है। यहां तक कि तवाफ के दौरान मर्द औरतों के लिए रास्ता छोड़ देते हैं। मुस्लिम इन जगहों को पवित्र समझते हैं और यहां पहुंचना उनके लिए एक सपने के पूरा होने जैसा होता है। लोग यहां सिर्फ धर्म कर्म में लगे होते हैं। उनका कहना है कि हज या उमरा के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया या भारत से अधिक उम्र के लोग जाते हैं, लेकिन मध्य-पूर्व के देश के अधिकतर युवा लोग जाते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी उनकी तरफ से किसी छेड़खानी या भेदभाव को महसूस नहीं किया। एक अनुमान के मुताबिक हर साल बीस लाख मुस्लिम हज यात्रा करते हैं। इस दौरान मक्का में भारी भीड़ देखने को मिलती है। इससे पहले सोशल मीडिया के जरिए दुनिया भर की महिलाएं यौन उत्पीड़न की कहानियां साझा कर रही थीं। यह अभियान फिल्म प्रोड्यूसर हार्वे वाइनस्टीन पर कई हाई प्रोफाइल अभिनेत्रियों की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद शुरू किया गया था, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए सामने आ रहे यौन उत्पीड़न के किस्से हज पर जाने वाली महिलाओं को जरूर सोचने पर मजबूर करेंगे।