रोजगार गारंटी एक्ट है, पर रोजगार नहीं

सरोत्री में बजट के अभाव में लोगों को नहीं मिला सौ दिन का काम

नगरोटा बगवां  – भले ही प्रदेश सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना  के तहत कामगरों की दिहाड़ी में बढ़ोतरी कर वाहवाही लूटने प्रयास किया हो, लेकिन पर्याप्त बजट के अभाव में भारत की बड़ी महत्त्वाकांक्षी योजना हांफती नजर आने लगी। भारत सरकार से समयानुसार नियमित अदायगी न होने से न केवल ग्रामीण स्तर की विकासात्मक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, बल्कि रोजगार के चाह्वान भी ठगा हुआ अनुभव करने लगे हैं। हालांकि योजना के तहत काम समाप्ति के 15 दिन के भीतर दिहाड़ी का भुगतान निर्धारित है, लेकिन लोगों को अपना मेहनताना प्राप्त करने के लिए भी लंबे इंतजार से गुजरना पड़ रहा है। यही वजह है कि सरकार के दावों और वादों के बावजूद लोगों को निर्धारित 100 दिन का भी रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा। सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगरोटा बगवां विकास खंड में मनरेगा की प्रगति के आंकड़े कम चौंकाने वाले नहीं है। जानकारी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में विकास खंड की विभिन्न पंचायतों में कुल 11442 लोगों ने रोजगार के लिए आवेदन किया था। योजना के नियमों के अनुसार आवेदकों को रोजगार तो मिला, लेकिन प्रशासनिक अव्यवस्था के चलते मात्र चार लोग ही 100 दिन का रोजगार प्राप्त कर सके। पिछले कुछ महीनों तक चले घोर आर्थिक संकट की वजह से आज भी 700 से ज्यादा कार्य अधूरे पड़े है। करोड़ों की देनदारियों के बीच जहां पंचायतों को सीमेंट उपलब्ध नहीं हुआ, वहीं समय पर पगार न मिलने से मजदूर भी कन्नी काटने लगे। सुखद है कि गत माह आए बजट ने करोड़ों की देनदारियों को घटाकर 42 लाख तक समेत दिया, जिससे विभाग व पंचायतों ने राहत की सांस ली है। खबर की पुष्टि के लिए ग्राम पंचायत सरोत्री के प्रधान उमाकांत ने बताया कि उनकी पंचायत के एक भी व्यक्ति का 100 दिन का रोजगार पूरा नहीं हो पाया,जबकि सामग्री के आभाव में पांच वार्डों में कार्य अधूरे पड़े हैं । इस संदर्भ में खंड विकास अधिकारी डा. कंवर जगदीप ने माना कि पिछले दिनों बजट के अभाव में व्यवधान आया था, लेकिन मौजूदा समय में सीमेंट का बाकाया भुगतान कर दिया गया है, जिसे अधूरे कार्य जल्द पूरे होंगे।