विदेशी मिठाई है समोसा…

ज्यादातर लोगों को लगता है कि समोसा भारतीय पकवान है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि समोसा देशी नहीं बल्कि विदेशी है जो मीलों की दूरी तय कर भारत पहुंचा है। समोसा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में कितना पॉप्युलर है इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि इंग्लैंड के लेस्टर सिटी में नौ से 13 अप्रैल, 2018 के बीच नेशनल समोसा वीक आयोजित होने वाला है। 21 अप्रैल 1526 को मुगलों ने भारत में प्रवेश किया और वे अपने साथ लेकर आए खान-पान से संबंधित कई चीजें जिनमें समोसा सबसे मशहूर था। 16वीं शताब्दी के मुगल दस्तावेज आइन-ए-अकबरी में भी समोसे का जिक्र मिलता है। समोसा फारसी भाषा के संबुश्क से निकला है और पहली बार इसका जिक्र 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फजल बेहाकी की लेखनी में मिलता है। उन्होंने गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में पेश की जाने वाली नमकीन चीज का जिक्र किया है जिसमें कीमा और सूखे मेवे भरे होते थे। मध्य एशिया का यह अल्प आहार देखते ही देखते दक्षिण एशिया के लोगों के दिलों पर राज करने लगा। संबुश्क आज पूरे एशिया में अलग-अलग नाम और अवतार में पाया जाता है। पूर्वी भारत में समोसे को सिंघाड़ा कहते हैं और इसे बनाने का तरीका थोड़ा अलग है। बंगाल में समोसे के आटे में हिंग मिलाई जाती है और आलू को टुकड़ों में काट कर समोसा बनाया जाता है।

ज्यादा खाएंगे तो होगा नुकसान

इस तरह से विदेश से आए इस शाही पकवान समोसा का आज भारत के हर कोने में लुत्फ उठाया जा रहा है। हालांकि आपने टेस्ट के चक्कर में जरूरत से ज्यादा समोसा खा लिया तो आपको सीने में जलन, एसिडिटी, मोटापा, पेट में गड़बड़ी और दस्त जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।