समझ लें सारे…नारी में है शक्ति सारी

महिलाएं आज हर फील्ड में पुरुषों से कई कदम आगे हैं। बात घर चलाने की हो या फिर सरकार…नारी शक्ति ने हर जगह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इस सबके बावजूद कुछ ‘बीमार’ नजरें अभी भी महिलाओं  को घूरने से बाज नहीं आतीं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। ‘दिव्य हिमाचल’ ने कुछ महिलाओं से बात की, तो उन्होंने बताया कि कैसे वे ऐसे हालातों का सामना कर आगे बढ़ती  हैं…  राकेश कथूरिया (कांगड़ा), नरेन कुमार (धर्मशाला)

अब पहले जैसी परिस्थितियां नहीं

कांगड़ा की शगुन सेठी कहती हैं कि अब पहले जैसी परिस्थितियां नहीं हैं, क्योंकि अब लड़कियां शिक्षित हैं और बिजनेस व नौकरी के सिलसिले में घर से बाहर निकल रही हैं । आज से दो दशक पहले ऐसा कुछ नहीं था। महिला  जींस डाल कर घर से निकलती थी, तो पुरुष घूरते  थे।  अब  लोगों की सोच भी बदली है। श्रीमती शेट्टी कहती हैं कि आप सब कुछ नॉर्मल लगता है।

हर फील्ड में पुरुषों से आगे महिलाएं

दयानंद मॉडल पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल धर्मशाला की प्रिंसीपल मीनाक्षी गौतम शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रही हैं। महिलाएं हर फील्ड में कई कार्य बेहतरीन तरीके से करते हुए आगे निकल रही हैं, लेकिन समाज अपनी सोच बदलने में कामयाब नहीं हो सका है।  ऐसे में अब समाज को अपनी सोच बदलने की जरूरत है।

आज भी औरतें सुरक्षित नहीं

नगर निगम धर्मशाला की प्रथम महापौर रजनी व्यास ने कहा कि समाज को अपनी सोच बदलनी होगी। आज की छात्रा, एक गृहिणी, एक स्वरोजगार और नौकरी करने वाली महिला कहीं भी सुरक्षित नहीं है।  महिला-पुरुष के एक सम्मान होने पर भी कई मानसिक बीमार महिलाओं को घूरते हैं।  ऐसे में हमारे समाज की सोच को बदलना होगा।

बेटियां-महिलाएं किसी से कम नहीं

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक छात्रा पाठशाला धर्मशाला में पिछले 20 वर्षों से बतौर संगीत प्राध्यापक सेवाएं प्रदान कर रही रेखा शर्मा ने लगातार जिला व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में जीत का इतिहास अपने नाम किया है। उन्होंने कहा कि बेटियां और महिलाएं किसी से भी कम नहीं हैं। जिस देश में कन्याओं का पूजन किया जाता है, उस समाज में ही महिलाओं और बेटियों को इज्जत न देना और उन्हें पीछे धकेलने की व्यथा को अब दूर भगाना होगा।

पुरुषों को बदलनी होगी अपनी सोच

धर्मशाला की राखी गौतम कहती है कि आज किसी भी कार्य को लेकर बाहर निकलते हैं, तो लोग घूरते हैं । मौजूदा दौर में महिलाओं के अच्छे परिधान डालने पर भी कुछ लोगों को दिक्कत होती है। आज जब महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, तो ऐसे में पुरुष समाज को भी सोच बदलने की जरूरत है ।