नाहन – भले ही प्रदेश सरकार ने बोर्ड और निगमों को घाटे से उभारने के लिए कई तरह की रियायतें दी गई हैं। साथ ही सरकार द्वारा कुछ निगमों को सरकारी कार्यालयों में सामान की आपूर्ति के लिए अधिकृत किया है, लेकिन सरकार द्वारा अधिकृत यह निगम ही सरकारी खजाने को दीमक की तरह चाट रहे हैं। इन सरकारी उपक्रमों का आलम यह है कि जो सामान निगमों द्वारा सरकारी महकमे को दिया जा रहा है वह मार्किट रेट से दोगुने से भी अधिक कीमतों पर दे रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि सरकार ने जितने भी निगमों एवं बोर्डों को सरकारी कार्यालयों में सामान की सप्लाई के लिए अधिकृत किया है उनका अपना कोई भी उत्पाद नहीं है। यानी कुल मिलाकर यह कहें कि यह उपक्रम सरकार व मार्किट के बीच बिचौलिये का काम कर रहे हैं। यही नहीं यह सरकारी उपक्रम जिन निजी फर्मों से अथवा वैंडरों से यह प्रोडक्ट खरीद रहे हैं उनकी भी निगमों ने चांदी कर दी है। सरकार द्वारा सरकारी महकमों के लिए हिमाचल हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम, हिमफेड, हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम व हिमाचल प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड आदि सरकार के ऐसे उपक्रम हैं जो सरकारी कार्यालयों में सामान की सप्लाई करते हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम का एक महाघोटाला सामने आया है। भले ही सरकार ने हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा की गई खरीददारी व सप्लाई की जांच बिठा दी है, लेकिन अब देखना यह है कि क्या सरकार द्वारा बिठाई गई जांच केवल शिक्षा विभाग को सप्लाई किए गए सामान की होगी अथवा निगम द्वारा गत पांच वर्षों में विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में भी करोड़ों रुपए की सप्लाई की गई है क्या उसकी भी जांच करवाई जाएगी अथवा नहीं।
निगम व मार्केट के बीच रेट का अंतर
प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा सिरमौर के स्कूलों को जो सप्लाई की गई है उनमें कुछ वस्तुओं की सूची सामने ला रहे हैं। इनमें निगम द्वारा जो बैडमिंटन राकेट जिसका प्रिंट रेट 580 रुपए है को 1100 रुपए में दिया गया है। यही नहीं बॉक्सिंग ग्लब्ज जो मार्किट में 400 रुपए जोड़ी उपलब्ध है को दो हजार रुपए प्रति जोड़ी दी गई है। वॉलीबाल पोल की मार्किट रेट 2200 रुपए है, जबकि निगम द्वारा 8500 रुपए की बिलिंग की गई है।
सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की हो जांच
लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा स्कूलों को हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा की गई सप्लाई की जांच तो बिठा दी है, लेकिन इसके साथ-साथ निगम द्वारा गत पांच वर्षों में सरकारी अस्पतालों में सप्लाई किए गए सामान की भी जांच की जानी चाहिए।