हाइड्रो एनर्जी के ग्रीन होने का इंतजार

By: Mar 5th, 2018 12:20 am

केंद्र की पावर पालिसी से मिल सकती है राहत, अभी तक सोलर-विंड को ही रियायतें

शिमला – हाइड्रो पावर को केंद्र सरकार ग्रीन एनर्जी घोषित करे, इसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। हिमाचल सरकार ने इस संबंध में केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा है और पैरवी करते हुए कहा है कि यहां पर हाइड्रो पावर उत्पादन की ही क्षमता है। अब तक ग्रीन एनर्जी में सोलर पावर व विंड पावर को शामिल किया गया है, जिसके लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुपए की रियायतें प्रदान कर रही है। कई राज्यों में सोलर एनर्जी व विंड पावर के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, जिसके लिए केंद्र से उनको बड़ी मात्रा में पैसा मिल रहा है। हिमाचल को केंद्र से ऐसी कोई मदद नहीं मिल पा रही है, क्योंकि यहां पर न तो सोलर एनर्जी का उत्पादन हो रहा है और न ही विंड पावर का। प्रदेश में इसकी कोई संभावना भी नहीं है, जिस पर एक व्यापक सर्वे के बाद प्रदेश ने पल्ला झाड़ लिया है। सूत्रों के अनुसार यहां के बिजली विशेषज्ञों ने साफ कर दिया है कि राज्य में सोलर व विंड पावर की क्षमता नहीं है। जहां-जहां इसकी संभावनाएं तलाशी गई हैं, वहां मायूसी ही हाथ लगी है। सोलर पावर के लिए छोटे-छोटे कैप्टिव प्लांट जरूर लग रहे हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर इसकी संभावना नहीं है। यहां तक कि लाहुल-स्पीति में दो हजार मेगावाट की संभावना आंकी जरूर गई थी, लेकिन यहां से बिजली की ट्रांसमिशन का कोई साधन नहीं है। पावर ग्रिड भी इस संबंध में सर्वेक्षण करवा चुका है। ऐसे में प्रदेश सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार हाइड्रो पावर को भी ग्रीन एनर्जी में शामिल करे, ताकि जो रियायतें दूसरे राज्यों को सोलर व विंड के लिए मिल रही हैं, वह हिमाचल को भी मिलें। जल्द ही केंद्र सरकार की पावर पालिसी घोषित होने वाली है, जिसमें हिमाचल की हाइड्रो पावर के लिए भी राहत हो सकती है। क्योंकि हाइड्रो पावर का उत्पादन लगातार महंगा पड़ रहा है और सोलर व विंड के लिए केंद्र सरकार रियायतें दे रही है। ऊर्जा मंत्री ने केंद्र के समक्ष पक्ष रखा है और हाइड्रो पावर को ग्रीन एनर्जी में शामिल कर प्रदेश में निवेशकों को बढ़ाने के साथ यहां हाइड्रो के पूरे दोहन की बात कही है।

27 हजार में से दस हजार मेगावाट का ही दोहन

हिमाचल में हाइड्रो पावर के उत्पादन की क्षमता 27 हजार मेगावाट की आंकी गई है, जिसमें अभी तक मात्र साढ़े 10 हजार मेगावाट का ही दोहन हो सका है। इसके अलावा 10 हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट यहां पर अलाट किए जा चुके हैं, लेकिन वे तैयार नहीं हो सके। यदि ग्रीन एनर्जी में हाइड्रो को शामिल किया जाता है तो रुके हुए प्रोजेक्ट गति पकड़ेंगे।


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