14 देवताओं ने बढ़ाई शान

नेरचौक –स्थानीय देवी-देवताओं की मौजूदगी में भंगरोटू के जिला स्तरीय नलवाड़ मेले की पुरानी रंगत फिर से लौटने लगी है। मेले में पहुंचे करीब 14 देवी -देवताओं की मौजूदगी के चलते मेले में तीसरे दिन भी काफी तादाद में लोग मेले में पहुंचे। खेती में बढ़ते मशीनरी के प्रयोग और बैलों की खेती में उपयोगिता घट जाने का असर भंगरोटू नलवाड़ मेले पर भी पड़ा है। 1942 से चला आ रहा भंगरोटू का नलवाड़ मेला किसी समय में प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में शुमार होता था और मेले में बैलों की बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त के साथ-साथ मेले को ग्रामीण मेले के रूप में भी मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ मशीनी युग के आगे बढ़ने पर भंगरोटू के नलवाड़ मेले की चमक भी फीकी पड़ती गई और मेला बंद होने के कगार पर पहुंच गया। करीब चार साल पहले मेले का आयोजन करने वाली कमेटी ने मेले को बंद करने का भी निर्णय ले लिया था, लेकिन तभी मेले को बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ स्थानीय संगठन आगे आए और इस मेले को देवता और ग्रामीण मेले के रूप में मनाया जाने लगा। प्रशासन के साथ स्थानीय लोग और स्थानीय संगठन इस मेले को पिछले तीन सालों से ग्रामीण और देवता मेले के रूप में मना रहे हैं। मेले में देवी देवताओं के आगमन से अब यह मेला फिर पुरानी रंगत में लौटने लगा है। मेले में नेरचौक और आसपास के करीब 14 देवी-देवता रौनक बढ़ा रहे हैं।  मेले में सत श्री देव बाला कामेश्वर नेर, कोयला माता राजगढ़, जय देव बाला टिका नेरगढ़, जय माता उग्रतारा देवी नेरचौक, श्री कमरू माहूनाग नेरचौक, जय देव खुड्डी जहल नेर, महाकाली चांमुडा नेर, नारायण विष्णु अवतार राधा कृष्णन गवालादेव नागचला, जय महाकाली चामुडां नौरू, देव माहूनाग नलसर, सत बाला कामेश्वर घौड़ रियूर, देव माहूनाग कांगरू बग्गी, महाकाली मानपुर और चौका माता की मौजूदगी लोगों को इस मेले की ओर खींच रही है।