एकीकरण की नई बस

अधिकारियों ने इस ट्रायल का मकसद बस सेवा के रास्ते में आने वाली परेशानियों का पता लगाना बताया है। बांग्लादेश सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में डिविजनल उपसचिव सुल्ताना यासमीन ने बताया कि इस यात्रा के दौरान टीम रास्ते, प्रवासी परिवारों, सीमा पर जांच चौकियों और अन्य सुविधाओं का आकलन करेगी…

भारत की पहचान हमेशा से राजनीतिक सीमाओं से अधिक सांस्कृतिक सीमाओं से होती रही है। सांस्कृतिक दृष्टि से भारत की सीमाएं हिमालय के द्वारा परिभाषित होती रही हैं। हिमालय की गोद में वह सभी देश आ जाते हैं, जिन्हें आज दक्षेस देशों के नाम से जानते हैं। इसी पूरे भू-भाग को अंग्रेज शासक भारतीय उपमहाद्वीप के नाम से पुकारते रहे हैं। इस भू-भाग का सांस्कृतिक एकीकरण इस क्षेत्र के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए विकास के रास्ते खोल सकता है, साथ ही विविधता को बनाए रखने के नए सूत्र भी दे सकता है।

इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार ने एक अनोखा कदम उठाया है, भारत, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल को बस सेवा से जोडने का कदम। हाल ही में इस बस सेवा का ट्रायल शुरू हो गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीआईएन) मोटर वाहन समझौते के तहत ढाका से दो यात्री बसें रवाना हुईं जो रात को जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) पहुंच गईं। इन दोनों बसों में भारत, बांग्लादेश और नेपाल के 49 आधिकारिक प्रतिनिधि सवार हैं। इन बसों के अलावा नेपाल की राजधानी काठमांडू से दो, जबकि सिलीगुड़ी के मिनी-सचिवालय से एक बस को भी रवाना किया जाएगा।

2015 में हुए बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते का भारत, बांग्लादेश और नेपाल ने अनुमोदन कर दिया है, लेकिन भूटान अभी अनुमोदन नहीं कर पाया है। यही वजह है कि बसों का यह ट्रायल इन्हीं तीनों देशों तक सीमित रहेगा। अधिकारियों ने इस ट्रायल का मकसद बस सेवा के रास्ते में आने वाली परेशानियों का पता लगाना बताया है।

इस बस सेवा की भावना को अभिव्यक्त करते हुए नेपाल के परिवहन मंत्रालय के अवर सचिव गोविंद प्रसाद खारेल ने कहा कि यह बस सेवा न केवल सभी देशों के बीच मजबूत संबंधों का, बल्कि संस्कृति, व्यापार और सार्वजनिक परिवहन का भी विकास करेगी। प्रकृति  द्वारा प्रदत्त एकता का एहसास यदि यह बस सेवा सभी देशों के नागरिकों को कर सके, तो इस क्षेत्र के एकीकरण को नई गति मिल सकेगी।

-डा. जयप्रकाश सिंह

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