कारगिल के लिए नहीं जाना पड़ेगा लेह

बीआरओ बना रहा लाहुल से वैकल्पिक सड़क, मनाली से 350 किलोमीटर कम होगी दूरी

केलांग— कारगिल पहुंचने के लिए अब लेह जाने की जरूरत नहीं होगी। बीआरओ दारचा से 16 हजार फीट पर स्थित शिंकुला दर्रे से होते हुए एक सड़क बना रहा है, जो सीधे लेह की पदम घाटी से होते हुए कारगिल पहुंचेगी। करीब 300 किलोमीटर लंबी इस सड़क का अधितर कार्य बीआरओ ने पूरा कर लिया है। बीआरओ अब लेह की पदम घाटी से लाहुल के दारचा की ओर सड़क बनाने में जुटा हुआ है। इस सड़क के बन जाने के बाद मनाली से कारगिल की दूरी 350 किलोमीटर कम हो जाएगी। बीआरओ के अधिकारियों का कहना है कि सड़क तैयार होने के बाद कारगिल पहुंचना काफी आसान हो जाएगा। सेना के लिए यह मार्ग काफी फायदेमंद साबित होगा। बताया जा रहा है कि अभी फिलहाल इस मार्ग को अंजाम देने के लिए पहाड़ों की कटिंग का काम चल रहा है। हिमाचल के लाहुल से होकर जाने वाली इस सड़क को बीआरओ ने पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान समय में मनाली से 877 किलोमीटर दूरी तय कर कारगिल पहुंचा जाता है। ऐसे में इस सफर को कम करने की जो कवायद बीआरओ ने छेड़ी है। उस पर प्रोजेक्ट का करीब 70 फीसदी कार्य पूरा कर लिया गया है। बीआरओ के अतिरिक्त महानिदेशक मोहन लाल का कहना है कि हिमाचल के लाहुल से कारगिल के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जा रहा है। इस सड़क के बनने के बाद लेह जाने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि 300 किलोमीटर लंबी इस सड़क को लाहुल के दारचा से शिंकुला दर्रे होते हुए लेह की पदम घाटी से गुजारा जाएगा और इसके बाद वहां से पीडब्ल्यूडी की सड़क यात्रियों को सीधा कारगिल पहुंचा देगी। रक्षा मंत्रालय के इस महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी बीआरओ को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि इस सड़क को डबललेन बनाया जा रहा। यह सड़क खास तौर पर सेना के लिए तैयार की जा रही है। लिहाजा कारगिल जैसे सीमावर्ती इलाके में रसद पहुंचाना अब और भी आसान हो जाएगा। बीआरओ   शिंकुला दर्रे व गुंबरुजोन दर्रे को चीर कर दारचा-शिंकुला-पदम सड़क को बनाने में जुट गया है।

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