क्लस्टर के फेर में फंसी लो फ्लोर बसें

By: Apr 30th, 2018 12:01 am

रोड साइड धूल फांक रही 325 गाडि़यां, एचआरटीसी को हर महीने करोड़ों की चपत

शिमला  – हिमाचल पथ परिवहन निगम की 325 लो फ्लोर बसों का संचालन क्लस्टर के फेर में उलझ कर रह गया है। क्लस्टर के तहत रूट निर्धारित न होने के चलते एचआरटीसी की ये बसें आठ महीने से सड़कों के किनारों पर धूल फांक रही है, जिससे हर महीने पथ परिवहन निगम को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। लो फ्लोर बसें के क्लस्टर से बाहर चलने का विवाद पिछले साल सितंबर में शुरू हुआ था। विवाद के चलते एचआरटीसी 325 लो फ्लोर बसें खड़ी हैं। इन बसों के खड़े होने से एचआरटीसी को हर महीने दस करोड़ का नुकसान हो रहा है। ऐसे में अगर पूरे आठ महीने का आकलन किया जाए, तो एचआरटीसी को अभी तक करीब 80 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ चुका है। हालांकि इन बसों के संचालन के लिए पथ परिवहन निगम द्वारा पिछले काफी समय प्रयास किए जा रहे हैं, मगर अभी तक इन बसों का संचालन क्लस्टर के फेर में ही फंसा हुआ है। बसों के संचालन न होने के चलते जहां हर महीने एचआरटीसी को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। बसों के खड़े होने से कई रूट भी ठप पड़े हुए हैं, जो जनता के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। निगम में बसों के संचालन की अधिकतम सीमा नौ वर्ष है और इसके बाद बसों को नीलाम कर दिया जाता है। निगम प्रबंधन ने वर्ष 2015 में केंद्र के सहयोग से जेएनएनयूआरएम की बसें खरीदी थी। इसके बाद इनका प्रदेश भर में संचालन हो रहा है, जिन रूटों पर बसें उपलब्ध नहीं थी, वहां भी जेएनएनयूआरएम की बसें चलाई जा रही थीं, लेकिन आठ महीने से 325 बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में नौ वर्ष बाद जब बसों की नीलामी होनी है, तो यदि समय पर क्लस्टर का समाधान नहीं निकला, तो ये बसें खड़ी-खड़ी ही नीलाम करनी पडें़गी, जबकि निगम ने कुछ बसों की खरीद के लिए 40 लाख और कुछ के लिए 60 लाख रुपए की कीमत अदा की है।

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