गिरि की विजिलेंस जांच रुकी

साल पहले का मामला, पाइपें लगाने पर हुए थे करोड़ों खर्च

शिमला— राजधानी शिमला के लिए पानी की सप्लाई करने वाली गिरि परियोजना में अनियमितता की जांच धीमी पड़ गई है। विजिलेंस ने करीब एक साल पहले इसमें मामला दर्ज किया था। विजिलेंस की आरंभिक जांच में परियोजना के एक हिस्से में घटिया पाइपें लगाने की बात सामने आई थी। परियोजना में पाइपें फटने पर इस पर करीब 55 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन अब इस मामले की जांच अधर में लटकी हुई है। राजधानी के लिए साल, 2008 में बनकर तैयार हुई गिरि परियोजना में अनियमितता के मामले की विजिलेंस जांच कर रही है। इस परियोजना में करीब एक किलोमीटर के हिस्से की लाइन फटने और इसकी मरम्मत के नाम पर टांके लगाने के नाम पर विभाग ने करीब 55 करोड़ रुपए खर्च दिए। इसकी विजलेंस को शिकायत पहुंची थी। इसके आधार पर ही विजिलेंस ने आरंभिक जांच की थी और बाद में केस दर्ज किया था। हालांकि आरंभिक जांच में लापरवाही की बात सामने आई थी, लेकिन यह लापरवाही किस स्तर पर हुई, इसकी जांच की जा रही है। आरोप है इस परियोजना में टेंडर स्पेसिफिकेशन के अनुसार इसमें पाइपें नहीं लगाई गई।

एक किलोमीटर पर चार करोड़

जब साल 2016 में यह परियोजना सरकार ने नगर निगम के हवाले की तो नगर निगम ने हिस्सा बदलने की योजना तैयार की। नगर निगम ने करीब एक किलोमीटर का हिस्सा बदलकर करीब साढ़े चार करोड़ रुपए में नई लाइन बिछा दी। इसके बाद यह परियोजना सही चल रही है। इस तरह करीब आठ सालों तक विभाग परियोजना की मरम्मत करवाता रहा और परियोजना की हालात फिर भी नहीं सुधरी।