ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए गिरिपार पहुंचे घुमंतू पक्षी

 संगड़ाह — जिला सिरमौर के गिरिपार तथा अन्य पहाड़ी इलाकों में इन दिनों मैदानी क्षेत्रों से ग्रीष्मकालीन प्रवास पर आए लाखों घुमंतू पक्षी अगले छह माह के लिए डेरा जमा चुके हैं। क्षेत्र में मार्च के अंतिम दिनों अथवा चैत्र माह में आने वाले समर विजिटर बर्डस में स्थानीय भाषा में घुघती कही जाने वाली डव प्रमुख है तथा इसकी पांच उपजातियां इलाके में देखी जा सकती हैं। पक्षी प्रेमियों अथवा वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार डव अथवा घूघी के अलावा दो किस्मों के पैराकिड्स अथवा तोते, कुकू, कोयल तथा बुलबुल आदि परिंदे भी इन दिनों भारी संख्या में हिमालयी जंगलों में पहुंचते हैं। उक्त परिंदों की गणना हालांकि अब तक वन्य प्राणी अथवा वन विभाग द्वारा नहीं की गई, मगर क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार गिरिपार में तीन लाख के करीब प्रवासी पक्षी गर्मियां बिताने पहुंचते हैं। पंजाब, हरियाणा व प्रदेश के विभिन्न मैदानी इलाकों से आने वाले इन परिंदों की खास बात यह है कि यह इसी क्षेत्र में प्रजनन अथवा बच्चे पैदा करते हैं तथा अपने परिवार के नए सदस्यों के साथ मैदानी इलाकों को लौट जाते हैं। इन दिनों इनके नैस्टिंग अथवा घोंसले बनाने की प्रक्रिया जारी है तथा इसके बाद मेटिंग व फिर प्रजनन का प्रक्रिया शुरू होती है। सदियों से पहाड़ों में गर्मियां बिताने आने वाले इन परिंदों का जिक्र क्षेत्र के लोक गीतों में भी बार-बार आता है तथा गिरिपार अथवा सिरमौर की दर्जन भर से अधिक नाटियों में डव अथवा घुघती की मनमोहक कूक व आकर्षण का जिक्र आता है। गेहूं, हरी मटर, गर्मियों में उगने वाले जंगली फल तथा कीड़े-मकोड़े इन परिंदों का प्रिय भोजन है। सुबह धूप खिलने से पहले ही उक्त परिंदे चहचहाना अथवा अपने गीत सुनाना शुरू कर देते हैं। क्षेत्र के बुजुर्गों के अनुसार आज भी इनकी तादात उतनी ही देखी जाती है जितनी कि दशकों पहले हुआ करती थी। इनमें से कुछ पक्षियों का लोग मीट के लिए शिकार भी करते हैं। हालांकि क्षेत्रवासियों तथा वन्य प्राणी विभाग के कर्मचारियों के अनुसार आमतौर पर इंसानों से दूर रहना पसंद करने वाले इन परिंदों का शिकार करना आसान नहीं है। समर विजिटर परिंदे हर बार न केवल पक्षी प्रेमियों, बल्कि स्थानीय लोगों तथा क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं। बहरहाल मैदानी इलाकों की तेज गर्मी से बचने के लिए उक्त परिंदे गिरिपार के सदाबहार हिमालयी जंगलों के प्रवास पर पहुंच चुके हैं। आगामी अक्तूबर माह में अपने नए परिवार अथवा बच्चों के साथ यह मेहमान मैदानी इलाकों में लौट जाएंगे।