हाई कोर्ट ने नायब तहसीलदार से मांगी विस्तृत जानकारी
आत्महत्या केस की सुनवाई आठ मई को
शिमला— संदिग्ध परिस्थितियों में बेटे की मौत की जांच सीबीआई से करवाए जाने के आग्रह को लेकर दायर याचिका की सुनवाई 8 मई को निर्धारित की गई है। सरकार द्वारा दायर जवाब पर असंतोष जताते हुए न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी और न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस ने मामले की छानबीन किए बगैर ही अभिषेक की मौत को आत्महत्या का मामला मानते हुए बंद कर दिया। चंबा के ओबरी मोहल्ला निवासी मृतक के पिता पूर्ण चंद द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में आरोप लगाया है कि उसके बेटे की 20 जून 2016 को उसके बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी, जिसकी रिपोर्ट 9.7.2016 को पुलिस के समक्ष की गई थी, लेकिन 28.7.2016 को पुलिस ने अभिषेक की मौत को आत्महत्या का मामला मानते हुए बंद कर दिया। हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई अब आठ मई को निर्धारित की गई है।
एक सप्ताह में छुड़ाएं वन भूमि से कब्जा
शिमला — प्रदेश हाई कोर्ट ने नायब तहसीलदार कोटखाई को आदेश दिए कि वह एक सप्ताह के भीतर हलाइला निवासी लोकेंद्र सिंह से वन भूमि का कब्जा छुड़ाए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने नायब तहसीलदार कोटखाई को आदेश दिए कि वह मामले की आगामी सुनवाई तक अनुपालना रिपोर्ट दायर करे। प्रार्थी अन्नत नेगी द्वारा मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किए। पत्र में आरोप लगाया गया है कि हलाइला निवासी लोकेंद्र सिंह ने तीन बीघे सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया है और सेब के बगीचा उगाया है। हर साल वह लाखों रुपए कमा रहा है। हाई कोर्ट में उपस्थित नायब तहसीलदार कोटखाई ने अदालत को बताया कि हलाइला निवासी लोकेंद्र सिंह के खिलाफ गत 31 मार्च को बेदखली आदेश पारित किए गए हैं और जल्दी ही उससे कब्जा छुड़ाया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 2 मई को निर्धारित की गई है।
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