ज्वालामुखी अस्पताल में कैसे लें सांस

ज्वालामुखी—मंदिर न्यास ज्वालामुखी की एक जर्जर हो चुकी सराय में चल रहे अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में मरीजों को न केवल मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताडि़त होना पड़ रहा है, बल्कि उनके साथ आने वाले तीमारदारों को भी यहां के सड़ांध भरे बदबूदार माहौल में रहना पड़ रहा है । इस अस्पताल की दीवारों में सीलन है, जो किसी स्वस्थ आदमी को भी बीमार कर सकती हैं। लाखों की संख्या में यहां पर यात्रियों का हर साल आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा 42 के करीब पंचायतों के लोग भी इसी अस्पताल के ऊपर निर्भर हैं। साथ ही नेशनल हाईवेज पर होने के कारण दुर्घटनाओं में पीडि़त लोगों की सेहत का भी यहां ही ख्याल रखा जाता है। ऐसे में इतने महत्त्वपूर्ण स्थान का अस्पताल एक जर्जर सराय में चल रहा है और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। यहां शौचालय बंद पड़े हैं, सफाई का कोई खास ख्याल नहीं है। यहां तक कि डाक्टरों के ओपीडी रूम, आपरेशन थियेटर तक के कमरों की दीवारों का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है।  चंगर के युवा नेता संजय राणा ने कहा कि चंगर की जनता की एक ही प्रमुख मांग वर्षों से रही है कि अस्पताल को पुराने स्थान बस अड्डे के पास लाया जाए, क्योंकि यहां पर जो भवन बना है, वह अस्पताल के नोर्म के आधार पर बना है, जबकि मौजूदा अस्पताल को तो एक पुरानी सराय में चलाया गया था, जो किसी भी लिहाज से मरीजों के लिए अनुकूल नहीं है। सरकार जनहित में फैसला लें, वरना क्रमिक अनशन के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ेगा, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में जनता भाजपा को तभी सहयोग करेगी, जब अस्पताल को जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए स्थानांतरित किया जाएगा।  बीएमओ रमन पुरी ने कहा किउन्होंने ठेकेदारों को मरम्मत केकार्य करने को कहा था, पर कोई काम ही नहीं कर रहा है। सफाई कर्मचारियों का अभाव है।